Love Shayari

हम पर तेरे हुस्न का खुमार हैं
इश्क हैं रोग..तो हम बहुत बीमार हैं..?

 

*चाँद से अपना प्रेम लिखूँ या निंदिया से अपना बैर लिखूँ….*
*तुम तो इस दिल के धड़कन हो फिर तुमको भी कैसे गैर लिखूँ….*…

 

खाली ना समझ मेरे हाथों को,
मेरे हाथों मे तेरे लिए मांगी हुई मन्नत रखीं हैं।

 

कितना नाजुक मिज़ाज़ है उनका, ये ना पूछिए “फ़राज़”..
नींद नहीं आती उन्हें….अपनी ही धड़कनों के शोर में…!!
अधूरा,अनसुना ही रह गया प्यार का किस्सा,
कभी तुम सुन न सके,कभी मैं कह नही पाई..!!

 

नज़र उतार लूँ , या नज़र में उतार लूँ…
तुम आ जाओगे यूँ ही, या फिर से पुकार लूँ।❤️

 

अंदाजा नहीं था…..इतनी गहरी हो तुम….
जरा सा क्या उतरे….डूबते चले गए हम… !!

 

एक था गुल एक थी बुलबुल
बुलबुल बोले सुन बाबुल
????
दिल में है प्यार तेरा होठों पे गितवा
झूट बोले जो उसे काट खाये बिछुवा
रब दी कसम सच बोले मेरे मितवा

 

फ़कत रेशम की गाँठें थी जरा सी खोल लेते तुम…..
अगर दिल में शिकायत थी,जुबां से बोल देते तुम..?

 

आग लगाकर पैसो में हर खेल हमने भी खेला हैं
जाकर कहदो मेरे चाहने वालो से दिल की दुनिया में अखिलेश आज भी अकेला हैं

 

कुछ उसकी मजबूरीयाँ कुछ मेरी कश्मकश बस यूँ ही,
एक खूबसूरत कहानी को खत्म कर दिया हमने…..॥

 

सब की नजरों में नजारे थे जमाने के बहुत ,
पर मुझे तेरे सिवा और दिखा कुछ भी नहीं !!

 

आख़री ख्वाहिश…..जो पूछी वक़्त ने…
पहली ख्वाहिश…..मुस्कुराकर रह गई…!!

 

तुमसे महौब्बत जब तक रही चुनरी मेरी बेदाग़ रही,
तू वफा पर दाग दे गया तो क्या हुआ,महौब्बत तो मेरी पाक रही !!

 

चॉद लाकर कोई नहीं देगा, अपने चेहरे से जगमगाया…. करो ।
धूप मायूसी से लौट जाती है,छत पे,कपडें सुखाने आया करो।

 

कितनी गहरी समझ…….. रखता होगा वो शख्स
जिसने पहली बार ……….मुहब्बत को खुदा कहा होगा!!

 

नाज़ुक सा दिल कभी भूल से ना
टूटे छोटी छोटी बातों से आप ना
रूठे ,थोड़ी सी भी परवाह है अगर
आप को हमारी,तो कोशिश करना
कि ये दोस्ती कभी न टूटे।

 

जो मस्तियाँ थीं कल वो नहीं हैं आज़ में।
न हुस्न है तेरा न है जोश-मिज़ाज़ में।
पत्थर सी लुढ़क रही है जैसे ज़िन्दग़ी-
न ख़्वाब है कोई न बुलंदी आवाज़ में।

 

गुजरता हूं जब उसकीं गली से तो वो छुप के देखती है मुझे
और ये भी चाहती है, कि कोई, जाकर बातें……. ना बनाए।।

 

मोहब्बत की एक मिसाल हों तुम ..!
मेरा जहाँ, मेरा खुदा, मेरी इबादत हो तुम

 

मेरी शायरी
मेरे तजुर्बों का इजहार है
और
कुछ भी नही…..
सोचता हुं…..
कोई तो संभल जायेगा
मुझे
पढने के बाद…..!! ???