Love Shayari

ये यादे..ये बाते…ये मिजाज क्या है
हो गया इश्क फिर इलाज क्या है..!!

 

सिर्फ #बेचैनियां लिखी जाती हैं दिल की,
लफ्जों से पूरी कहा होती है #कमी सनम तेरी…!!

 

मेरा लहजा मेरी बातें बहुत ही आम है लेकिन,
मैं जज़्बा पाक रखती हूँ मोहब्बत खास रखती हूँ !!!

 

#उफ्फ्फ्फ़….
#कयामत है उनका #इश्क भी
#मोहब्बत भी करना चाहते है…
वो भी #दोस्ती की आड़ मे❤?
??✍??

 

इन बारिश की बूंदो में अपने इश्क़ की मिलावट कर दो …!!
आ जाओ मेरे पास और मोहब्बत की सजावट कर दो…

 

इश्क़ का ख्याल है और ख्याल में है इश्क़..!!
मत पूछ यार किस हाल में है इश्क़………..!!

 

पोछो न अरक रुखसारों से रंगिनिये हुस्न को बढ़ने दो
सुनते हैं कि शबनम के क़तरे फूलों को निखारा करते हैं

 

रोज़ ख़्वाबों में नए रंग भरा करता था
कौन था जो मेरी आँखों में रहा करता था
उँगलियाँ काट के वो अपने लहू से अक्सर
फूल पत्तों पे मेरा नाम लिखा करता था
हाए क़िस्मत कि यही छोड़ के जाने वाला
उम्र भर साथ निबाहेंगे कहा करता था

 

चांद से फूल से या मेरी ज़ुबाँ से सुनिए…
हर जगह आपका क़िस्सा हैं जहाँ से सुनिए…
सबको आता नहीं दुनिया को सजाकर जीना…
ज़िन्दगी क्या है मुहब्बत की ज़बां से सुनिए…
क्या ज़रूरी है कि हर पर्दा उठाया जाए…
मेरे हालात भी अपने ही मकाँ से सुनिए…
मेरी आवाज़ ही पर्दा है मेरे चेहरे का…
मैं हूँ ख़ामोश जहाँ , मुझको वहाँ से सुनिए…
कौन पढ़ सकता हैं पानी पे लिखी तहरीरें…
किसने क्या लिक्ख़ा हैं ये आब-ए-रवाँ से सुनिए…

 

?सुना है कोई और ♠♠
♠♠भी चाहने लगा है तुमको,??
??हमसे बढ कर अगर चाहे ♠♠
♠♠तो उसी के हो जाना??

 

इक अजीब सी जंग है मुझ में…!
कोई मुझ से ही तंग है मुझ में…!

 

आज भी दरवाजे से छुपकर देखती है रोज मुझे..!!
गाँव का इश्क़ है जनाब शहर की नोटँकीयां नही..!!

 

दर्द अगर काजल होता तो आँखों में लगा लेते;
दर्द अगर आँचल होता तो अपने सर पर सजा लेते;
दर्द अगर समुंदर होता तो दिल को हम साहिल बना लेते;
और दर्द अगर तेरी मोहब्बत होती तो उसको चाहत-ऐ-लाहासिल बना लेते।

 

????????????
कैसी बीती रात किसी से मत कहना
सपनों वाली बात किसी से मत कहना
कैसे ऊठे बादल और कहाँ टकराऐ
कैसी हुई बरसात किसी से मत कहना

 

काश फुरसत में उन्हें भी ये ख्याल आ जाये,
कि कोई याद करता है उन्हें ज़िन्दगी समझकर.

 

उसने कहा अच्छी बडी शायरी लिखते हो तुम
हमने भी कह दिया आपकी वाह के लिये कलम उठ जाती है

 

मेरे आशिकी का काफिला बस वहां तक चला?
जहां तक उसकी खुशबू से भरी?
हवाओं से मुझे सांसें मिलती रही❤

 

कलम चलती है तो दिल की आवाज लिखती हूँ,
गम और जुदाई के अंदाज़-ए-बयां लिखती हूँ,
रुकते नहीं हैं मेरी आँखों से आँसू,
मैं जब भी तेरी याद में अल्फाज़ लिखती हूँ !!

 

नशा कुछ यूँ चढ़ा तेरे आग़ोश का,
पैमाना छलका भी नहीं और हम मदहोश हो गये !!