Mahadevi Verma | महादेवी वर्मा कवयित्री Mahadevi Verma: महादेवी वर्मा जी का जन्म उत्तर प्रदेश के फ़रूर्खाबाद में सन् १९०७ में हुआ था। महादेवी जी
Category: Hindi Poets
![gora gaay](https://hindpatrika.com/wp-content/uploads/2019/03/gora-gaay.jpg)
गाय के नेत्रों में हिरन के नेत्रों-जैसा विस्मय न होकर आत्मीय विश्वास रहता है। उस पशु को मनुष्य से यातना ही नहीं, निर्मम मृत्यु तक
![Bhaktin](https://hindpatrika.com/wp-content/uploads/2019/03/Bhaktin.jpg)
छोटे कद और दुबले शरीरवाली भक्तिन अपने पतले ओठों के कानों में दृढ़ संकल्प और छोटी आँखों में एक विचित्र समझदारी लेकर जिस दिन पहले-पहले
![bibiya](https://hindpatrika.com/wp-content/uploads/2019/03/bibiya.jpg)
अपने जीवनवृत्त के विषय में बिबिया की माई ने कभी कुछ बताया नहीं, किन्तु उसके मुख पर अंकित विवशता की भंगिमा, हाथों पर चोटों के
![binda](https://hindpatrika.com/wp-content/uploads/2019/03/binda.jpg)
भीत-सी आंखों वाली उस दुर्बल, छोटी और अपने-आप ही सिमटी-सी बालिका पर दृष्टि डाल कर मैंने सामने बैठे सज्जन को, उनका भरा हुआ प्रवेशपत्र लौटाते
![woh chini bhai](https://hindpatrika.com/wp-content/uploads/2019/03/woh-chini-bhai.jpg)
मुझे चीनियों में पहचान कर स्मरण रखने योग्य विभिन्नता कम मिलती है। कुछ समतल मुख एक ही साँचे में ढले से जान पड़ते हैं और
![sona hirani](https://hindpatrika.com/wp-content/uploads/2019/03/sona-hirani.jpg)
सोना की आज अचानक स्मृति हो आने का कारण है। मेरे परिचित स्वर्गीय डाक्टर धीरेन्द्र नाथ वसु की पौत्री सस्मिता ने लिखा है : ‘गत
![do phool](https://hindpatrika.com/wp-content/uploads/2019/03/do-phool.jpg)
फागुन की गुलाबी जाड़े की वह सुनहली संध्या क्या भुलायी जा सकती है ! सवेरे के पुलकपंछी वैतालिक एक लयवती उड़ान में अपने-अपने नीड़ों की
![gillu](https://hindpatrika.com/wp-content/uploads/2019/03/gillu.jpg)
सोनजुही में आज एक पीली कली लगी है। इसे देखकर अनायास ही उस छोटे जीव का स्मरण हो आया, जो इस लता की सघन हरीतिमा
![rama](https://hindpatrika.com/wp-content/uploads/2019/03/rama.jpg)
रामा हमारे यहाँ कब आया, यह न मैं बता सकती हूँ और न मेरे भाई-बहिन। बचपन में जिस प्रकार हम बाबूजी की विविधता भरी मेज
![nelu kutta](https://hindpatrika.com/wp-content/uploads/2019/03/nelu-kutta.jpg)
नीलू की कथा उसकी माँ की कथा से इस प्रकार जुड़ी है कि एक के बिना दूसरी अपूर्ण रह जाती है। उसकी अल्सेशियन माँ उत्तरायण
![gheesa](https://hindpatrika.com/wp-content/uploads/2019/03/gheesa.jpg)
वर्तमान की कौन-सी अज्ञात प्रेरणा हमारे अतीत की किसी भूली हुई कथा को सम्पूर्ण मार्मिकता के साथ दोहरा जाती है, यह जान लेना सहज होता
![shubhdra](https://hindpatrika.com/wp-content/uploads/2019/03/shubhdra.jpg)
हमारे शैशवकालीन अतीत और प्रत्यक्ष वर्तमान के बीच में समय-प्रवाह का पाट ज्यों-ज्यों चौड़ा होता जाता है त्यों-त्यों हमारी स्मृति में अनजाने ही एक परिवर्तन
![parnaam](https://hindpatrika.com/wp-content/uploads/2019/03/parnaam.jpg)
कार्य और कारण में चाहे जितना सापेक्ष सम्बन्ध हो किन्तु उनमें एकरूपता, नियम का अपवाद ही रहेगी। बिजली की तीखी उजली रेखा में मेघ का
![dagyaa](https://hindpatrika.com/wp-content/uploads/2019/03/dagyaa.jpg)
मैं गुप्त जी को कब से जानती हूं, इस सीधे से प्रश्न का मुझसे आज तक कोई सीधा-सा उत्तर नहीं बन पड़ा। प्रश्न के साथ