द्रोणाचार्य का आश्चर्य

द्रोणाचार्य का आश्चर्य : एक दिन द्रोणाचार्य अपने शिष्यों को वन में धनुष-बाण चलाने का अभ्यास कराने ले गए। उनके पीछे ही आश्रम में रहने वाला कुत्ता भी चला गया। वह कुत्ता द्रोणाचार्य और उनके शिष्यों से अलग होकर वहां जा पहुंचा, जहां एकलव्य द्रोणाचार्य की मूर्ति के सामने बाण चलाने का एकाग्र मन से अभ्यास कर रहा
था।
| कुत्ता अपरिचित भील युवक एकलव्य को देखकर भौंकने लगा। इससे जब एकलव्य के अभ्यास में व्यवधान पड़ने लगा तो उसने सात बाण इस प्रकार चलाए जिनसे कुत्ते को कोई क्षति न हुई और बाणों से मुख भर जाने के कारण उसका भौंकना भी बंद हो गया। एकलव्य फिर अपने अभ्यास में जुट गया।
जब कुत्ता इधर-उधर भटकता हुआ अपने स्वामी के पास पहुंचा तो उसके मुख में भरे बाणों को देखकर द्रोणाचार्य को बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने सोचा, इस वन्य-प्रदेश में ऐसा कौन धनुर्धर पैदा हो गया जिसने इतने कौशल से कुत्ते के मुख में बाण चलाए हैं।

द्रोणाचार्य का आश्चर्य

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.