विष्णु द्वारा लक्ष्मी की खोज : विष्णु से रुष्ट होकर लक्ष्मीजी मृत्यु लोक में भरत खण्ड के कर्नाटक प्रदेश में जा पहुंचीं। वहां जाकर उन्होंने एक ब्राह्मण के यहां कन्या रूप में जन्म लिया। विष्णु भी एक सामान्य ब्राह्मण का वेश धारण करके उस ब्राह्मण के घर पहुंच गए और उससे उसकी कन्या का हाथ मांगा। तभी लक्ष्मी रूपी युवा कन्या ने ब्राह्मण पिता के कान में कुछ कहा। उसकी बात सुनकर ब्राह्मण बोला, “वत्स! मुझे अपनी कन्या तुम्हें देने में कोई इनकार नहीं है, परंतु आपको मुझे इसके बदले इतनी बड़ी रकम चुकानी होगी, जिसका ब्याज आप कभी न उतार सकें।”
अब विष्णुजी सोच में पड़ गए। इतनी बड़ी रकम वे कहां से लाएं। लक्ष्मीजी भी अब उनके पास नहीं हैं। कुछ सोचकर वे कुबेर के पास पहुंचे। कुबेर ने धन तो दे दिया, पर उसका ब्याज भी देने के लिए कहा। विष्णु ने स्वीकार किया और कन्या से विवाह करके वे वहीं रहने लगे। उन्होंने वहां तिरुपति मंदिर बनवाया। उसमें रोज लाखों का चढ़ावा आने लगा। परंतु वह सारा धन ब्याज के रूप में कुबेर के खजाने में जमा हो जाता था। ब्याज न उतार पाने के कारण विष्णु आज भी तिरुपति के मंदिर में रह रहे हैं। उऋण हुए बिना वे कैसे जा सकते हैं।
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