विष्णु भक्त दंभ की तपस्या और शंखचूड़ का जन्म
विष्णु भक्त दंभ की तपस्या और शंखचूड़ का जन्म : महर्षि कश्यप की एक पत्नी का नाम दतु था। वह परम साध्वी, रूपवती और सौभाग्यवती थी। उसके एक पुत्र का नाम विप्रचित था। विप्रचित का पुत्र दंभ था। दंभ बड़ा धार्मिक, विष्णु भक्त और जितेंद्रिय था। दंभ निस्संतान था। संतान की प्राप्ति के लिए उसने पुष्कर तीर्थ में एक लाख वर्ष तक तप किया। भगवान विष्णु ने प्रसन्न होकर उसे वर मांगने को कहा। | दंभ ने निवेदन किया, “प्रभु! आप अपने समान पुत्र मुझे दीजिए।”
विष्णु ने ‘तथास्तु’ कहा और अंतर्धान हो गए। समय आने पर दंभ की पत्नी ने एक तेजस्वी | पुत्र को जन्म दिया। उसका नाम शंखचूड़ रखा गया। | शंखचूड़ बड़ा धार्मिक और जितेंद्रिय था। वह ब्रह्मा का बड़ा भक्त था। उसने ब्रह्मा से वर
प्राप्त किया कि कोई भी देवता उसे जीत न सके। ब्रह्मा ने उसे वर दिया और विष्णु जी का
अक्षय कवच प्रदान करते हुए उसे बद्रिकाश्रम में जाने के लिए कहा, जहां धर्मराज धर्म ध्वज | की कन्या तप कर रही थी। ब्रह्मा अंतर्धान हो गए तो शंखचूड़ बद्रिकाश्रम के लिए चल दिया।