पहले विदेशी होम की स्थापना

पहले विदेशी होम की स्थापना : मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ की सेवा की खुशबू भारत के साथ-साथ विदेशों में भी खूब फैल रही। थी। परंतु मदर ने भारत-भूमि को छोड़कर विदेशों में सेवा कार्य करने के अनेक महत्वपूर्ण प्रस्तावों को विनम्रता के साथ ठुकरा दिया था, क्योंकि वहां कार्य करने के लिए उनके पास सिस्टर्स नहीं थीं।
फिर भी पोप जॉन पाल (द्वितीय) के आग्रह पर उन्होंने वेनेजुएला में अपना पहला विदेशी होम स्थापित किया। महत्वपूर्ण बात यह थी कि स्वयं पोप जॉन पाल यह आग्रह करने कलकत्ता आए थे और मदर टेरेसा के होम्स का सेवा कार्य देखकर द्रवित हो उठे थे।
उसके बाद जहां कहीं भी युद्ध के समय घायलों की सेवा-सुश्रुषा की जरूरत होती, मदर की सिस्टर्स वहां पहुंच जातीं। वे निडरता के साथ अपने कार्य को अंजाम देतीं।।
एक बार मदर इथोपिया पहुंचीं। वहां अकाल पड़ा हुआ था। लोग भूख और रोगों से मर रहे थे। वहां का बादशाह बड़ा क्रूर था। परंतु मदर ने किसी तरह बादशाह से भेंट करने में सफलता पाई और बादशाह ने मदर के उद्देश्य को जानकर इथोपिया में होम खोलने की इजाजत दे दी। वहां मदर ने ‘हाइले मिशनरीज ऑफ चैरिटी’ के नाम से अपना होम खोला, जो आज तक कार्य कर रहा है।
उसके बाद सन् 1987 में उन्होंने फिलीपीन्स में ‘त्यूमान’ के नाम से होम खोला और टी.बी. रोग से | ग्रस्त लोगों की सेवा की। यह होम मनीला की एक गरीब बस्ती टोंडो में बनाया गया था।

पहले विदेशी होम की स्थापना

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.