मोहनदास गांधी की पिटाई : मोहनदास गांधी खेल-कूद में बिलकुल भाग नहीं लेते थे। उनका कहना था कि शिक्षा का खेलसे कोई संबंध नहीं है। लेकिन स्कूल के प्रधान अध्यापक ने प्रत्येक छात्र के लिए खेल-कूद में भाग ले अनिवार्य किया हुआ था। प्रधान अध्यापक दोराबजी एदलजी बहुत ज्यादा अनुशासनप्रिय थे। उन आज्ञा की कोई अवहेलना करता तो वे क्रोधित हो उठते।।
प्रधान अध्यापक को जब इस बात का पता चला कि मोहनदास खेल-कूद में भाग नहीं लेता है। उन्होंने उसे बुलाकर बेंत से उसकी पिटाई कर दी। मोहनदास की पिटाई होते देखकर बाकी लड़के सह गए। परंतु पिटाई होने के बाद भी गांधी जी का मन खेल-कूद की ओर से उदासीन ही रहा। उनकी पिटाई से खेल अध्यापक को बड़ा दुख हुआ। उन्हें पश्चाताप हो रहा था कि उन्होंने मोहनदास की शिकायत क्यों की। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था।
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