महर्षि भरद्वाज और अप्सरा घृताची : महर्षि भरद्वाज हरिद्वार के निकट स्थित एक आश्रम में निवास करते थे। वे बड़े विद्वान और तत्वज्ञानी थे। एक दिन प्रभात काल में महर्षि गंगा तट पर विचरण कर रहे थे। सहसा उनकी दृष्टि एक सुंदर युवती पर पड़ी।वह देवलोक से आई घृताची’ नामक अप्सरा थी।
महर्षि भरद्वाज जिस समय गंगा तट पर विचरण कर रहे थे, उसी समय अप्सरा घृताची गंगा में स्नान करके बाहर निकली थी। घृताची के अद्भुत रूप-यौवन को देखकर महर्षि उसकी ओर आकर्षित हो । गए। परिणामस्वरूप उनका तेज स्खलित हो गया, जिसे महर्षि ने पत्ते के एक दोने (द्रोण) में एकत्रित कर सुरक्षित रख दिया।
अप्सरा घृताची महर्षि भरद्वाज की ओर मंद-मंद मुस्कराते हुए अपने लोक को चली गई, जबकि महर्षि अपने कार्य विशेष में संलग्न हो गए।
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