Jab Nikali Jati Hain Baal Ki Khaal | जब निकली जाती हैं बाल की खाल

Jab Nikali Jati Hain Baal Ki Khaal | जब निकली जाती हैं बाल की खाल

Jab Nikali Jati Hain Baal Ki Khaal | जब निकली जाती हैं बाल की खाल : एक धोबी के पास एक गधा था। रोज सुबह धोबी गधे की पीठ पर कपड़े का गट्ठर लादता और नदी की ओर चल देता, जहां वह कपड़े धोया करता था। शाम होने पर वह धुले हुए सूखे कपड़े उठाता और गधे की पीठ पर लादकर घर की ओर चल देता।।
धोबी इसी में खुश था। एक दिन वह अपने लड़के को साथ लेकर घर का जरूरी सामान खरीदने निकटवर्ती बाजार में गया। गधा भी उनके साथ था। गर्मियों की दोपहर थी, धरती मानो जल सी रही थी। ऐसे में बाप-बेटे का नंगे पैरों चलना दुश्वर हो रहा था। जब चलना बर्दाश्त से बाहर हो गया तो धोबी ने अपने लड़के को गधे पर बैठा दिया।
रास्ते में उन्हें कुछ राहगीर मिले। एक बोला, “देखो कैसा मूर्ख लड़का है। बेचारा बूढ़ा | बाप नंगे पैर पैदल चल रहा है और यह है कि शान से गधे पर बैठा है।’ ‘

Jab Nikali Jati Hain Baal Ki Khaal

सुनकर धोबी के लड़के को लगा कि वह गलती पर है। वह गधे पर से नीचे उतरा और धोबी को उस पर बैठने को कहा।
वो अभी ज्यादा फासला तय नहीं कर पाए थे कि एक आदमी उनके पास से गुजरते हुए बोला, ”इस बूढ़े को तो देखो। कैसा मजे से गधे की सवारी कर रहा है और लड़का बेचारा नंगे पांव पैदल चल रहा है। और तो और गधा भी गर्मी से पस्त और बेहाल हो रहा है।” | अब धोबी को लगा कि वह गलती कर रहा है। वह गधे पर से उतर पड़ा। अब बाप-बेटे
दोनों गधे के साथ-साथ पैदल चल रहे थे। | कुछ आगे बढ़ने पर उन्हें एक आदमी और मिला। वह उन्हें रोककर बोला, “यह तो गधा है ही लेकिन तुम दोनों भी कुछ कम नहीं। सवारी के लिए गधा होते हुए भी पैदल चले जा रहे
हो। तुम्हें क्या कहा जाए?” कहकर वह आगे बढ़ गया। | जो भी मिलता था, कुछ-न-कुछ कहकर आगे बढ़ जाता।
धोबी और उसका लड़का हैरान-परेशान से खड़े रह गए। उन्हें कुछ नहीं सूझ रहा था कि क्या किया जाए। लेकिन इतना जरूर समझ गए कि सभी को संतुष्ट करना ईश्वर के वश में भी नहीं है।

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