मैं अभागा पेड़ हूँ काया नहीं | Hindi Poem on Nature
मैं अभागा पेड़ हूँ काया नहीं | Hindi Poem on Nature
मैं अभागा पेड़ हूँ काया नहीं ii
पेड़ ही समझो मुझे साया नहीं ii
सर झुकाना मुझे कभी आया नहीं ii
पंछी करे मुझसे बात , जुगनू करे मुझे बात
किसी को भी अपना हाल मैंने कभी बताया नहीं ii
थक, हार कर , निराश होकर जो भी आया मेरे पास
उदास होकर वो कभी आज तक गया नहीं ii
समुन्दरों का पता लिया , पहाड़ो का पता लिया
मगर मेरा पता आज तक कभी किसी ने लिया नहीं ii
आजमाके सभी ने मुझे सफलता हासिल की
मगर सफलता का इनाम मुझे कभी किसी ने दिआ नहीं ii
मेरा अंग अंग जो भी गया दुसरो के काम में
वो कभी लौट कर मेरे पास आया नहीं ii
चैन से साँसे सभी लेते है मुझसे मगर
चैन से जीने का दर्जा मुझे किसी ने भी दिया नहीं ii
नहीं मैं घोटाले में शामिल हूँ , नहीं मैं रिश्वत खोर हूँ
फिर क्यों मुझे किसी ने भी राजनीति सिखाया नहीं ? ii
मैं फल देता हूँ , तन देता हूँ , मन तो मुझमे हैं ही नहीं
क्योकि मेरे आंसू सिर्फ मैंने ही देखे है , इंसान को नज़र आया नहीं ii
गौर से देखा जाये मैं तो हूँ सबका जीवन
मगर जिंदगी का मतलब मुझे किसीने भी समझाया नहीं ii
मैं अभागा पेड़ हूँ काया नहीं ii
पेड़ ही समझो मुझे साया नहीं ii
Author: Sudipto Chakraborty (sudiptochakraborty774[@]gmail.com)
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