दुष्ट ब्राह्मण और धन्ना की जिज्ञासा : ब्राह्मण ने धन्ना से कहा, ” धन्ना ! देवी सरस्वती ज्ञान-विज्ञान को देने वाली देवी हैं। उन्हीं की कृपा से मनुष्य को अक्षर-ज्ञान होता है। अक्षर-ज्ञान होने पर ही व्यक्ति पंडित बनता है और देवी की स्तुति में पद्य रचना करता है। संगीत के सप्त स्वरों और प्रकृति के अद्भुत सौंदर्य का भाव उसकी समझ में आता है। इस प्रकार देवी की उपासना करके पहले अक्षर-ज्ञान प्राप्त करो, फिर भगवान की उपासना करना। वैसे तुम इस पचड़े में न पड़ो, यही ठीक है। जाओ, घर जाओ और खेती-बाड़ी करो। भगवान के दर्शन कर पाना
आसान नहीं है।” | “पंडित जी ! फिर आप ही मुझे अक्षर-ज्ञान करा दीजिए, ताकि मैं देवी सरस्वती की उपासना करके भगवान से मिलन की राह पूछ सकें।” धन्ना ने पंडित जी के पैर पकड़ लिए।
“चल, भाग यहां से।” पंडित जी ने उसे अपने पैरों से परे धकेल दिया, ”बिना दक्षिणा के कुछ नहीं होगा।”
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