Durga chalisa in Hindi | श्री दुर्गा चालीसा

Durga chalisa in Hindi : हम आपके सामने दुर्गा चालीसादुर्गा असल में हैं क्या इसका अर्थ लेकर उपस्थित हुवे हैं आशा करते हैं आपको ये लेख पसंद आएगा अगर इस लेख से जुड़े किसी भी प्रकार का प्रश्न आपके मन में उठता हैं तो आप कमेंट सेक्शन में जा कर हमसे वो प्रश्न पूछ सकते हैं.

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Durga chalisa in Hindi : जिस मिटटी की मूरत को किसी मूर्तिकार ने बनाया और तुमने पूजन किया और फिर दशमी के दिन जिसको गंगा जी में बहा दिया अगर आप उसे दुर्गा समझते हैं तो अभी आप को दुर्गा की समझ नहीं हैं. दुर्गा का अर्थ हैं ‘The Cosmic Energy‘ वह दिव्य परा शक्ति जिससे प्रकृति का एक – एक अणु और परमाणु कार्यरत है. बिना उस शक्ति के प्रकृति केवल एक जड़ हैं. प्रकृति को जो हम बदलते, बनते व विस्तातरित होते हुवे देख रहे हैं तो वो जिस शक्ति से प्रसार को प्राप्त होती हैं उसी को कहते हैं दुर्गा. आध्यशक्ति आध्य मतलब प्रारंभ से जो हैं, आदि काल से जो हैं, अनादी जो रहेगी उसे कहते हैं दुर्गा.

Durga chalisa in Hindi : कभी कभी अपने धर्म और अपने सम्प्रदाय के आग्रह के कारण लोग सोचते हैं हम तो जैनिय हैं, बोद्ध हैं, सिख हैं, मुसलमान हैं हमको दुर्गा से क्या मतलब लेकिन वो भी उतने ही गलत हैं जितने की वो जो दुर्गा का सही अर्थ नहीं समझते. दुर्गा अर्थात वो शक्ति जिससे तुम्हारा शरीर बनता हैं, चलता हैं, मिटता हैं, टूटता हैं. वह शक्ति जिससे बीज, वृक्ष बनते हैं, पत्ते बनते हैं, फुल लगते हैं, फल लगते हैं, वह शक्ति जिससे बीजो में से अनाज पैदा होता हैं, वह शक्ति जिससे सूर्य अपने आप को गतिमान, प्रकाशमान, ओजस बनाता हैं, चन्द्रमा अपनी शीतलता, तारे अपनी रौशनी, पृथ्वी अपना गुरुत्वाकर्ष, पर्वतो की उंचाई, समन्दर की गहराई, ये हवा का चलना, ये मेघो का गरजना, ये वर्षा का होना ये वप्ण वस्पतियो का खिलना. ये सब जिस शक्ति से हो रहा हैं उसी को कहते हैं दुर्गा, उसी को कहते हैं अध्य शक्ति. यही शक्ति हमारे देह में भी मौजूद हैं और यही शक्ति हमारे चित्त में भी मौजूद हैं. यही शक्ति हमारे देह में सूक्त भी हैं जो अभी जागृत नहीं और उसी सूक्त शक्ति को जाग्रत करने के लिए देवी की उपासना, ध्यान और पूजन कहा गया हैं.

Durga chalisa in Hindi : जब देवी भीतर हैं तो देवी का पूजन भी तो भीतर ही होगा. देवी जब हम कहते हैं तो ये प्रयायवाची हो गया शक्ति का और शक्ति एक स्त्रीलिंग शब्द हैं. वो शकता नहीं हैं शक्ति हैं जिसे हम कहते हैं तो शक्ति एक स्त्र्ययं संज्ञा हैं और इसी कारण से. ऋषियों और महाऋषियों ने चिन्ह के माध्यम से जब साधारण मनुष्यों को समझाना चाहा तब दुर्गा माँ के अस्तित्व से हम परिचित हुवे जिसके आठ हाथ हैं, जिसके हाथ में शंख, चक्र, धनुष, बाण, शास्त्र हैं.


Durga chalisa in Hindi : हिन्दू और बोद्ध धर्म में चिन्हों की भाषा का बहुत उपयोग और महत्व हैं लेकिन आप लोग उन चिन्हों के वास्तविक अर्थ को भूल गए और केवल चिन्हों को पूजने लग गए. ये एक बहुत अपमान हैं उन ऋषियों का जिन्होंने हमे उपकार कर के हमे चिन्ह दिए थे उन गहरे तत्वों को, रहस्यों को समझने के लिए और हम उन रहस्यों को ढूढने के बजाए उन ही चिन्हों को पूजने लग गए दुर्गा को बहुत सुंदर बनाया जाता हैं क्यों? क्युकी शक्ति से ही तो सौन्दर्य उत्पन्न होता हैं. किसी – किसी जगह में हम दुर्गा को उसके काली रूप से देखते हैं.  काली अर्थात अन्धकार, अन्धकार अर्थात रहस्य तो ये शक्ति एक रहस्य हैं और जैसे अन्धकार का अंत नहीं होता हैं और अन्धकार में बहुत से रहस्य होते हैं
उसी प्रकार ये शक्ति रहस्यमयी हैं.

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Durga chalisa in Hindi : दुर्गा के हाथ में तलवार होती हैं, तलवार चिन्ह हैं विवेक का, ज्ञान का, ज्ञान काटता हैं सत्य को असत्य से, मिथ्या को सत्य से. दुर्गा अर्थात ज्ञान, दुर्गा के हाथ में धनुष होता हैं, बाण होता हैं अर्थात बुद्धि को धनुष बना कर के प्रकृति के प्रज्ञा रुपी बाण में इसमें स्थित करके निशाना साधता हैं उसका हाथ अज्ञान का भेदन हो जाता हैं. दुर्गा के हाथ में शंख हैं. शंख किसका चिन्ह हैं शंख चिन्ह हैं आनंद का. आनंद को चिन्ह के रूप में जब समझाना चाहा तो शंख को इस्तेमाल किया गया. शंख की ध्वनी आनंद की ध्वनी हैं, सुख की ध्वनि हैं, दुर्गा के हाथ में माला भी रखी रहती हैं, माला क्यों रखी रहती हैं? जैसे सब मनको में सब मोतियों में एक ही धागा होता हैं ऐसे ही हम सभी प्राणियों के मन में एक ही परा शक्ति का वास हैं और माला चिन्ह हैं सुमिरन का, जप का, साधना का, दुर्गा के हाथ में गद्दा भी होती हैं मेष गद्दा चिन्ह हैं सत्य का सत्य ठोस होता हैं और दुर्गा सवारी करती हैं सिंह की अर्थात जिसके पास ये सब हो गुण आ जाएंगे सत्य, ज्ञान, प्रज्ञा, आनंद वो सिंह जैसा निर्भय और अभय हो जाता हैं लेकिन लोग किसी बालबुद्धि की तरह का व्यहवार करते हैं इन चिन्हों को समझे बगैर बाहर पूजन में लग गए लेकिन जो अपने मन में सत्य, विवेक, ज्ञान, प्रज्ञा ये जो आनंद की अनुभूति को लाना था उसको ना लाकर के आडम्बर में विलीन हो गया हैं.
इस भावना का भी एक अपना महत्व हैं भावना का भी एक रस होता हैं लेकिन डॉक्टर की लिखी हुई प्रिस्क्रीपसन को आप पूजते नहीं हैं उसको दिखा के दवा खा के रोग दूर कर लेते हैं. इसी तरह से जो दुर्गा का स्वरुप कहा गया हैं ये एक चार्ट हैं एक चित्र हैं की आपके मन में इन सभी तत्वों को लेकर और इन सब अनुभूतियो को प्राप्त कर के अज्ञान का भेद करना हैं, सौन्दर्य को उत्त्पन्न करना हैं, ज्ञान प्रज्ञा को जगाना हैं, विवेक को जगाना हैं तो दुर्गा तुम्हारे अंदर ही हैं लेकिन वो सूक्त हैं. इस सूक्त दुर्गा शक्ति को जाग्रत करने हेतु क्या क्या साधना होनी चाहिए वो हम आप को बता रहे हैं लकिन आज हम दुर्गा शब्द का, दुर्गा मन्त्र ध्वनि का उपयोग करेंगे. मन्त्र किसी अदृश्य या किसी परोक्ष किसी दूर जगह पर किसी देवी को पसंद करने के लिए नहीं होता हैं. मन्त्र एक ऐसी ध्वनि तरंगो का नाम हैं जिसके द्वारा आपके मस्तिष्क में, आपके शरीर में बहुत अच्छे परिवर्तन आते हैं और आपके देह और आपका मन साधना करने को तैयार हो जाता हैं जो किसी छोटे बच्चे को समझाना हो तो ”” नहीं लिखते उसको कबूतर की तस्वीर दिखाते हैं, ”” नहीं लिखते उसको खरगोश की तस्वीर दिखाते हैं जब वो तस्वीरो की पहचान करने लगता हैं तो उसे अक्षरों की पहचान करवाते हैं, जब अक्षरों की पहचान हो जाती हैं तो दो दो अक्षरों को जोड़ के, तीन तीनअक्षरों को जोड़ के शब्द बनाना सिखाया जाता हैं फिर शब्दों को जोड़ के वाक्य बनाना सिखाया जाता हैं और फिर वाक्य को वाक्यों के साथ जोड़ते जोड़ते बच्चा निबंध, इतिहास, पुराण, वेद सब पढ़ जाता हैं तो मन्त्र एक ऐसी ध्वनि तरंगो को समूह हैं जिसके द्वारा आप अपनी देह में, अपने मन में कुछ ऐसे रासायनिक परिवर्तनों को लाते हैं जिससे आपका मन सध्विक, देह ऊर्जामयी बन जाती हैं इन मंत्रो का उच्चारण के लिए सबसे सही माध्यम हैं दुर्गा चालीसा का जप करना और मन को शुद्ध रखना.

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Durga chalisa in Hindi : हम आपके लिए दुर्गा चालीसा के मंत्रो को लेकर उपस्थित हुवे हैं कृपया इन्हें पड़े. अगर आप को हमारा लेख पसंद आया हैं तो कमेंट सेक्शन में कमेंट कर के हमे अपने विचार बताए. हम और Hind Patrika आपके विचारों का स्वागत करती हैं. इसके अलावा आप अगर अपना कोई लेख हमारी साईट में पब्लिश करवाना चाहते हैं तो हमारे कांटेक्ट मेनू में जाकर हमसे संपर्क करे. धन्यवाद. 🙂

दुर्गा चालीसा Durga Chalisa in Hindi

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥1॥

तुम संसार शक्ति लै कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥2॥

रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥3॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥4॥

केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै ।जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहुँलोक में डंका बाजत॥5॥

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ सन्तन र जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥6॥

अमरपुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नरनारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्ममरण ताकौ छुटि जाई॥7॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो। काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥8॥

शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें। मोह मदादिक सब बिनशावें॥9॥

शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला॥
जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ । तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥10॥

देवीदास शरण निज जानी। कहु कृपा जगदम्ब भवानी

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Hind Patrika

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