द्रोण की अभावग्रस्त गृहस्थी : द्रोण का विवाह हस्तिनापुर के राजगुरु कृपाचार्य की बहन कृपी से हुआ था। कृपाचार्य और कृपी के । पिता महर्षि शरद्वान और माता देवकन्या जानपदी थी। यद्यपि द्रोण का जीवन विवाह से पूर्व भी | अभावग्रस्त था, किंतु विवाह के पश्चात यह अपने चरम पर पहुंच गया था।
द्रोण और कृपी के एकमात्र संतान थी, उनका पुत्र अश्वत्थामा। उसके लिए भी थोड़े-से दूध तक का | प्रबंध कर पाने में असमर्थ थे वे।।
एक दिन द्रोण किसी कारणवश बाहर गए हुए थे। उनका पुत्र अश्वत्थामा बाहर से रोता हुआ आया और अपनी माता से बोला, “माताश्री ! मेरे सहपाठी मुझे ताने मार रहे हैं। मेरा कोई सहपाठी कह रहा है। कि वह एक बड़ा कटोरा भरकर दूध पीकर आया है तो दूसरा कह रहा है, वह दो कटोरे दूध पीकर आया है और…और मेरे भाग्य में दूध देखना तक नहीं है।” | “अच्छा!” माता कृपी अश्वत्थामा को समझाती हुई बोली, ”प्रिय पुत्र! उनका यह कथन सर्वथा अनुचित है।”
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