ब्रह्मा की परीक्षा : भृगु ऋषि ब्रह्मा के मानस पुत्र थे। सर्वप्रथम ऋषियों से विदा लेकर वे ब्रह्मलोक पहुंचे और ब्रह्म पिता को प्रणाम किए बिना ही इधर-उधर की बातें करने लगे। इस पर ब्रह्मा अत्यंत कुपित हो गए। वे बोले, “वत्स! क्या तुम अपने सभी संस्कार भूल गए? क्या तुम यह भी भूल गए कि बड़ों के पास जाकर सर्वप्रथम उनका अभिवादन करना चाहिए?”
भृगु ऋषि इस पर उन्हें चिढ़ाते हुए बोले, “पिताश्री ! बच्चे जब अपने बड़ों से भी महान हो जाते हैं, तब वे इन बातों पर अधिक ध्यान नहीं देते। अब यदि मैंने आपका अभिवादन नहीं | किया तो आप ही मुझे अभिवादन कर लेते। इससे आप क्या छोटे हो जाते ?”
भृगु ऋषि की बात पर ब्रह्मा को और भी अधिक क्रोध चढ़ आया। अपने अपमान से वे आहत हो उठे। वे अपना कमण्डल उठाकर अपशब्द कहते हुए भृगु ऋषि को मारने दौड़े।
ब्रह्मा का रौद्र रूप देखकर भृगु ऋषि अपनी जान बचाकर वहां से भाग खड़े हुए और उन्होंने कैलाश पर्वत पर पहुंचकर ही सांस ली।
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