Bhediye Ki Khal Aur Lomdi Ki Chal | भेड़िए की खाल और लोमड़ी की चाल

Bhediye Ki Khal Aur Lomdi Ki Chal | भेड़िए की खाल और लोमड़ी की चाल

Bhediye Ki Khal Aur Lomdi Ki Chal | भेड़िए की खाल और लोमड़ी की चाल : जंगल में शेर मृत्यु शैया पर पड़ा था और जंगल के सभी जानवर चापलूसी दिखाने को वहां | मौजूद थे। सभी को यही उम्मीद थी कि शायद उसे ही शेर का उत्तराधिकारी चुना जाएगा। जब | भेड़िए की बारी आई तो वह शेर से बोला, “महाबली, लोमड़ी का व्यवहार तो देखिए, वह
आपको देखने तक नहीं आई।” । संयोगवश उसी समय लोमड़ी शेर की गुफा में आ पहुंची थी और उसने भेड़िए की बात सुन ली थी। वह शेर के पास पहुंची, आदर से सिर झुकाया और बोली, “महाराज! यह ठीक है कि मैं देर से आई, लेकिन इसके पीछे भी कारण है। मैंने अपनी जंगल यात्रा के दौरान आपकी | बीमारी को ठीक करने की दवा ढूंढ़ ली है।”

Bhediye Ki Khal Aur Lomdi Ki Chal | भेड़िए की खाल और लोमड़ी की चाल
मृत्यु शैया पर पड़ा शेर यह सुनकर उठ बैठा, और बोला, “जल्दी से बताओ।”
लोमड़ी बोली, “इसके लिए जिंदा भेड़िए की खाल चाहिए। वह खाल आपको अपने शरीर पर लपेटनी होगी।”
शेर तैयार हो गया। आगे क्या हुआ…कहने की आवश्यकता नहीं। हां, शेर जब भेड़िए को मार रहा था तो लोमड़ी उसका साथ दे रही थी।

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