विष्णु द्वारा नारद का मोह भंग करना
विष्णु द्वारा नारद का मोह भंग करना : नारद मुनि ब्रह्मा के मानस पुत्र थे। एक बार उन्हें यह मोह हो गया कि उन्होंने कामदेव को जीत लिया है। मन में इस अभिमान के आते ही उनकी बुद्धि भ्रष्ट हो गई। वे अपनी डींग हांकने भगवान शंकर के पास जा पहुंचे।
भगवान शंकर ने नारदजी की बात सुनकर उनकी खूब प्रशंसा की। नारदजी प्रशंसा सुनकर और भी ज्यादा फूल गए। भगवान शंकर ने कहा, “देवर्षि! कामदेव पर विजय प्राप्त करके आपने महान कार्य किया है। आप धन्य हैं। परंतु यह बात आप किसी अन्य से कदापि न कहें। विष्णु और ब्रह्मा से तो बिलकुल नहीं।”
नारदजी मन ही मन मुस्कराए और भगवान शिव से विदा लेकर ब्रह्मलोक जा पहुंचे। ब्रह्मा | से भी नारद ने अपनी उपलब्धि सुनाई तो वे बोले, “पुत्र! तुमने यह प्रशंसनीय कृत्य किया है।
परंतु यह बात तुम विष्णु से भूलकर भी न कहना।” | लेकिन नारदजी ने विष्णुलोक पहुंचकर काम-विजय की उपलब्धि के बारे में श्री विष्णु को
बताया। विष्णु ने भी नारद की प्रशंसा की। तीनों लोकों में प्रशंसा पाकर नारदजी का अहंकार बहुत बढ़ गया।