विष्णु भक्त ऐतरेय
विष्णु भक्त ऐतरेय : प्राचीन काल में माण्डूकि नामक एक ऋषि थे। उनकी पत्नी का नाम इतरा था। वे दोनों भगवान विष्णु के भक्त थे और अत्यंत पवित्र जीवन व्यतीत करते थे। दोनों परस्पर एक दूसरे | का ध्यान रखते थे तथा हंसी-खुशी जीवन व्यतीत करते थे। उन्हें यदि कोई दुख था तो यही कि उनके कोई संतान नहीं थी। इसी कामना से वन में जाकर दोनों ने कठोर तपस्या की।
तपस्या और प्रार्थना से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें दर्शन दिए और उनसे वर मांगने के लिए कहा। दोनों ने भगवान से पुत्र मांगा। भगवान ने आशीर्वाद देकर उनकी इच्छा पूरी की | और अंतर्धान हो गए।
समय आने पर उनके यहां एक सुंदर पुत्र ने जन्म लिया। यह बालक उनकी महान तपस्या का फल था। बचपन से ही यह बालक अलौकिक और दिव्य था। परंतु वह प्रायः चुप ही रहता था। काफी दिनों के पश्चात उसने बोलना प्रारंभ किया, लेकिन वह एक ही शब्द वासुदेववासुदेव’ का उच्चारण करता। इससे माण्डूकि ऋषि बहुत परेशान हो गए और उसके भविष्य को लेकर चिंतित रहने लगे।