उपाय भी और अपाय भी | Upay Bhi Aur Apay Bhi : किसी वन प्रदेश में बरगद का एक पेड़ था। उस पर अनेक बगुले रहते थे। एक कोटर में एक काला नाग भी रहता था। वह बगुले के बच्चों को खाकर अपना जीवन व्यतीत करता था। एक दिन एक बगुले ने उस नाग को बगुलों के बच्चे खाते देख लिया। इससे उसे बड़ा आघात पहुंचा। वह दुखी होकर अपना मुंह झुकाए हुए सरोवर के किनारे आंसू बहाने लगा।
बगुले को इस प्रकार रोते देखकर एक केकड़े ने उसके रोने का कारण पूछा तो बगुला बोला – ‘इस पेड़ में ही रहने वाला एक काला नाग हमारे बच्चों को खा जाता है। इसी से मैं दुखी हूं। क्या तुम उसको मारने का कोई उपाय बता सकते हो ?’
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उपाय भी और अपाय भी | Upay Bhi Aur Apay Bhi : केकड़ा सोचने लगा कि यह बगुला तो उसका जातिगत शत्रु है, इसलिए झूठ – सच मिलाकर इसे कोई ऐसा उपाय बताऊं कि बाकी बगुलों का भी अन्त हो जाए। फिर प्रत्यक्ष में कहा —‘मामा ! यदि आप मछलियों के मांस के टुकड़े आदि लाकर
नाग के कोटर से लेकर नेवले के बिल तक रास्ते में बिखेर दें तो नेवला उन टुकड़ों को खाते हुए नाग के बिल तक पहुंच जाएगा। और जातिगत वैर के कारण उस सर्प को मार डालेगा| बगुले ने ऐसा ही किया। नेवला मांस के टुकड़ों के सहारे नाग तक पहुंचा और उसे मार डाला। किंतु उसके बाद नेवला वहां से गया नहीं, उसे सहज ही भोजन मिलने का लालच जो हो चुका था। अत: उसने बगुलों को भी खाना शुरू कर दिया।
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उपाय भी और अपाय भी | Upay Bhi Aur Apay Bhi : और धीरे-धीरे एक-एक करके वह सारे बगुलों को चट कर गया। यह कथा सुनाकर धर्माधिकारियों ने धर्मबुद्धि से कहा – ‘इस मूर्ख पापबुद्धि ने अपनी चोरी छिपाने के लिए उपाय तो सोच लिया; किंतु उससे होने वाली हानि के बारे में तनिक भी नहीं सोचा। इसी का कुपरिणाम इसे भोगना पड़ रहा है।’ उक्त दोनों कथाओं को समाप्त करने के बाद करटक ने दमनक से कहा – ‘उस पापबुद्धि की तरह तुमने भी अपनी स्वार्थसिद्धि का उपाय तो सोच लिया, किंतु उससे होने वाली हानि के बारे में नहीं सोचा। तुम भी पापबुद्धि की तरह ही दुर्मति हो। यदि तुम अपने स्वामी को इस स्थिति में पहुंचा सकते हो तो फिर हमारे जैसे छोटे व्यक्तियों की तो गणना ही क्या है ! अतः आज से तुम्हारा और मेरा कोई संबंध नहीं। कहा भी गया है कि जिस स्थान में लोहे की भारी तराजू को चूहे खा सकते हैं, वहां यदि बाज किसी बालक को उठाकर ले जाता है तो इसमें संदेह की कोई बात नहीं। वहां तो कोई भी अविश्वसनीय घटना किसी भी क्षण घट सकती है। ” दमनक ने पूछा-‘‘यह तराजू और बाज की क्या कथा है ?’ तब करटक ने यह कथा सुनाई।
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