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सिख धर्म के पहले गुरु गुरु नानक देव जी | Sikh Dharm Ke Pehle Guru Guru Nanak Dev Ji

सिख धर्म के पहले गुरु गुरु नानक देव जी | Sikh Dharm Ke Pehle Guru Guru Nanak Dev Ji

सिख धर्म के पहले गुरु गुरु नानक देव जी | Sikh Dharm Ke Pehle Guru Guru Nanak Dev Ji : आज हम बात करने जा रहे हैं सिख धर्म के संस्थापाक और सिख धर्म के पहले गुरु माने जाने वाले पूज्य श्री गुरु नानक देव जी बारे में. हम बताएंगे आपको इनकी ज़िन्दगी से जुडी हुई रोचक जानकारी के बारे में तो चलिए शुरू करते हैं :

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सिख धर्म के पहले गुरु गुरु नानक देव जी | Sikh Dharm Ke Pehle Guru Guru Nanak Dev Ji : दोस्तों गुरु नानक साहेब सिख धर्म के पहले गुरु माने जाते हैं. नानक जी ने ही सिख धर्म की स्थापना की थी. इनका जन्म 15 अप्रैल 1469 यानी 15वे कार्तिक पूर्णमासी को एक हिन्दू परिवार में हुआ था. इनके पिता का नाम कल्याण चाँद या फिर मेहता कालू जी था ओर माता का नाम तृप्ति देवी था. गुरु नानक जी के गाँव का नाम तलवन्डी था तलवन्डी का यह गाँव आगे चलकर नानक के नाम पर ननकाना पड गया. इनकी बहन का नाम नानकी था इनका परिवार कृषि कर के आमदनी चलाते थे.

 

सिख धर्म के पहले गुरु गुरु नानक देव जी | Sikh Dharm Ke Pehle Guru Guru Nanak Dev Ji : गुरु नानक का जहाँ जन्म हुआ था वो स्थान आज उन्ही के नाम पर यानी ननकाना के नाम से जाना जाता हैं. ननकाना अब पकिस्तान में हैं. नानक जी ने बचपन से ही अध्यात्मिक, विवेक ओर विचारशील जैसी कई खूबियाँ मौजूद हैं. उन्होंने 7 साल की उम्र में ही हिंदी और संस्कृत सिख ली थी. 16 साल की उम्र तक आते आते वो अपने आस पास के राज्यों में सबसे ज्यादा पड़े – लिखे ओर जानकार बन चुके थे. इस्लाम ओर ईसाई धर्म और हिन्दू धर्म और शास्त्रों के बारे में भी नानक जी को जानकारी थी.

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सिख धर्म के पहले गुरु गुरु नानक देव जी | Sikh Dharm Ke Pehle Guru Guru Nanak Dev Ji : उम्र के 16वे वर्ष में शादी होने के बाद उन्होंने अपने सिद्धांतो का प्रसार हेतु एक सन्यासी की तरह अपनी पत्नी और दोनों पुत्रो को छोड़ कर धर्म के मार्ग पर निकल पड़े और लोगो को सत्य और प्रेम का पाठ पढ़ना आरम्भ कर दिया. धार्मिक कट्टरता के वातावरण में गुरु नानक जी ने धर्म को उदारता की एक नयी परिभाषा दी. उन्होंने जगह जगह घूम कर तत्कालीन अंधविश्वास और पाखंडो का जमकर विरोध किया. वे हिन्दू मुस्लिम के एकता के भारी समर्थक थे. धार्मिक सद्भाव की स्थापना के लिए उन्होंने सभी तीर्थो की यात्राएं की और सभी धर्मो के लोगो को अपना शिष्य बनाया. उन्होंने हिन्दू धर्म और इस्लाम धर्म दोनों के मूल एवं सर्वोत्तम शिक्षाओं को समिश्रित कर के एक नए धर्म की स्थापना की. जिसमें प्रेम ओर समानता बहुत अधिक थी यही बाद मे सिख धर्म कहलाए. भारत में अपनी ज्ञान की ज्योति जलाने के बाद उन्होंने मक्का मदीना की यात्रा की और वहां के निवासी भी उन से अत्यंत प्रभावित हुवे. 25 वर्ष के भ्रमण के बाद गुरु नानक साहेब करतारपुर में बस गए.

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सिख धर्म के पहले गुरु गुरु नानक देव जी | Sikh Dharm Ke Pehle Guru Guru Nanak Dev Ji : और वही रहकर उपदेश देने लगे. उनकी वाणी आज भी गुरु ग्रन्थ साहेब में संग्रहित हैं. 38 साल की उम्र में सुलतान लोधी के पास स्थित बैन नदी में नहाते समय गुरु नानक जी ने भगवान् का उपदेश सुना की वो म्हणता की सेवा करने के लिए खुद को समर्पित कर दे उसके बाद जो पहला वाक्य उनके मुख से निकला वो ये था की ना तो कोई हिन्दू हैं ओर ना ही कोई मुसलमान हैं. उन्होंने अपनी सरल वाणी से जन मानस के ह्रदय को जीत लिया. उन्होंने लोगो को बेहद सरल भाषा में समझाया की हम सभी लोग आपस में भाई हैं और ईश्वर हमारे पिता हैं. फिर एक पिता की संतान होने के बाद हम में उंच – नीच कैसे हो सकती हैं
और चलिए अब आपको बताते हैं गुरु नानक देव जी के मृत्यु के बारे में :

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सिख धर्म के पहले गुरु गुरु नानक देव जी | Sikh Dharm Ke Pehle Guru Guru Nanak Dev Ji : जीवन के अंतिम दिनों में इनकी ख्याति ऐसी थी की जिस जिस स्थानों से गुरु नानक साहेब जी गुज़रे थे वो आज तीर्थ स्थल का रूप ले चुके हैं. अंत में 22 नवम्बर 1539 ईसवी में उनका स्वर्गवास हुआ. मृत्यु से पहले उन्होंने अपने शिष्य भाई लहना को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया जो बाद में गुरु अम्बर देव के नाम से जाने गए और चलते चलते आपको गुरु नानक देव जी के बारे में बतला दे की गुरु नानक देव जी अच्छे कवि भी थे उनके भावो और कोमल ह्रदय में प्राकृतिक से एकांत लेकर जो अभिव्यक्ति की हैं वह निराली हैं. उनकी भाषा एक बहता हुआ नीर था जिसमे फ़ारसी, मुल्तानी, पूंजाबी, सिन्धी, खड़ी बोली, अरबी संस्कृत ओर बज्र भाषा के शब्द समा गए थे तो हम आशा करते हैं सिख धर्म के पहले गुरु गुरु नानक देव पर लिखा गया ये लेख आप सभी को पसंद आया होगा.

इस लेख पर आप अपने विचार comment section में लिख सकते हैं.
धन्यवाद! 🙂

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