समझदारी शारीरिक ताकत से अधिक बलवान हैं | Samjhdari Sharirik Takat Se Adhik Balwan Hain
समझदारी शारीरिक ताकत से अधिक बलवान हैं | Samjhdari Sharirik Takat Se Adhik Balwan Hain : किसी जंगल में महाचतुर नाम का एक गीदड़ रहता था। एक दिन जब वह जंगल में अपने आहार की खोज में भटक रहा था, तो उसने मरा हुआ एक हाथी देखा। गीदड़ ने हाथी की लाश के चारों ओर घूमकर उसका निरीक्षण किया, किंतु हाथी के शरीर में उसे कहीं भी ऐसा मुलायम स्थान दिखाई न दिया, जहां से उसका मांस खाया जा सके। अभी वह इस बात पर विचार कर ही रहा था कि कैसे हाथी की मोटी खाल को फाड़ा जाए, तभी उसे एक सिंह आता दिखाई दे गया। सिंह को देखते ही गीदड़ के छक्के छूट गए। वह सोचने लगा कि आज मारा गया। सिंह ने मुझे देख लिया, तो वह एक ही बार में मेरा काम तमाम कर देगा। लेकिन गीदड़ बहुत चतुर था। सिंह जब तक उसके पास पहुंचता, उसने एक तरकीब सोच ली।
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समझदारी शारीरिक ताकत से अधिक बलवान हैं | Samjhdari Sharirik Takat Se Adhik Balwan Hain : सिंह जब उसके निकट पहुंचा, तो गीदड़ ने बजाए वहां से भागने के, उसे हाथ जोड़कर प्रणाम किया, फिर बहुत ही नम्र स्वर में बोला – ‘वनराज! यह शिकार आपके लिए ही है। मैं तो सिर्फ आपके लिए इसकी चौकीदारी कर रहा था।’
सिंह गीदड़ के व्यवहार और मधुर वाणी से बहुत प्रभावित हुआ। बोला – ‘भोजन के लिए निमंत्रित करने के लिए तुम्हें धन्यवाद! लेकिन मैं किसी मरे हुए या दूसरे के द्वारा मारे गए पशुओं को कभी नहीं खाता, अपना शिकार मैं स्वयं ही किया करता हूँ। तुमने इसे खोजा है, तो अब इस पर तुम्हारा ही हक है। आराम से खाओ और मौज करो।” यह कहकर सिंह वहां से चला गया।
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समझदारी शारीरिक ताकत से अधिक बलवान हैं | Samjhdari Sharirik Takat Se Adhik Balwan Hain : सिंह जैसे ही वहां से गया कि एक तेंदुआ वहां आ पहुंचा। तेंदुए को देखकर गीदड़ चिंतित हो गया। वह सोचने लगा – ‘सिंह को तो मैंने अपने व्यवहार से टरका दिया, किंतु इस तेंदुए से कैसे निपटुं? यह तो बहुत धूर्त और शक्तिशाली है।’ यह विचार कर वह तेंदुए से बोला – ‘नमस्कार चाचा ! आज बहुत दिन के बाद इधर नजर आए। इस हाथी का शिकार जंगल के राजा सिंह ने किया है। वह अभी नदी में स्नान करने गया हैं और मुझे अपने शिकार की निगरानी पर नियुक्त कर गया है।
वह कह गये हैं कि कोई तेंदुआ इसे छूने न पाए।’
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समझदारी शारीरिक ताकत से अधिक बलवान हैं | Samjhdari Sharirik Takat Se Adhik Balwan Hain : सिंह का नाम सुनते ही तेंदुआ भयभीत हो गया। उसे भयभीत देखकर गीदड़ बोला – ‘चाचा! सिंह तेंदुओं से बहुत नफरत करते हैं। उन्होंने मुझे बताया था कि एक बार तेंदुए ने उनका शिकार जूठा कर दिया था। बस, तभी से वह तेंदुओं का जानी दुश्मन बन गये हैं। अभी तक कई तेंदुए उनके द्वारा मारे जा चुके हैं।”
गीदड़ की यह बात सुनकर तेंदुआ डर गया। वह बोला – ‘भतीजे! तब तो यहां से खिसकने में ही अपनी भलाई है। मैं कहीं और जाकर अपना शिकार तलाश लूगा।” कहकर तेंदुआ जल्दी से वहां से चला गया।
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समझदारी शारीरिक ताकत से अधिक बलवान हैं | Samjhdari Sharirik Takat Se Adhik Balwan Hain : तेंदुए के जाते ही एक बाघ वहां आ धमका और मृत हाथी के शरीर को ललचाई निगाहों से घूरने लगा। गीदड़ उसे देखकर सोचने लगा कि ‘इसके दांत और नाखून बहुत तेज हैं। शेर की तरह यह भी बहुत शक्तिशाली है। इसी से हाथी के पेट को फड़वाना चाहिए। ऐसा सोचकर वह बाघ से बोला – ‘बाघ भाई! यह शिकार सिंह का है। वह नदी में स्नान करने गये हैं और मुझे इसकी चौकीदारी पर छोड़ गये हैं। जब तक वह लौटे, फाड़ दो इसका पेट और मिटा लो अपनी भूख। मैं तब तक यह देखता रहूंगा कि सिंह कब वापस लौटते हैं। जैसे ही वह मुझे दिखाई देंगे, मैं तुम्हें सूचित कर दूंगा।’
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गीदड़ का इतना कहना था कि बाघ चढ़ गया मृत हाथी के शरीर पर। बात की बात में उसने अपने तीक्ष्ण नख – दांतों से हाथी का पेट फाड़ डाला। उसने अभी थोड़ा ही मांस खाया था कि गीदड़ चिल्लाया – ‘बाघ भाई! भागो, शेर आ रहा है।’ गीदड़ के इस प्रकार कहते ही बाघ घबरा गया और तुरंत वहां से भाग निकला। उसके जाने के बाद गीदड़ अपना आहार करने में जुट गया। उसने पेट भर भोजन किया। हाथी इतना विशाल था कि गीदड़ के आहार के लिए कई दिनों तक का प्रबंध हो गया।
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