रोगियों ने क्षमा मांगी : दूसरे दिन मदर ने सभी रोगियों को बुलाया और उनसे कह दिया कि जब तक विद्रोही रोगी अपने व्यवहार के लिए क्षमा नहीं मांगेंगे तब तक उन्हें होम में नहीं रहने दिया जाएगा।
इतना कहकर मदर प्रार्थना भवन में जाकर बैठ गईं और उन्होंने उस दिन उपवास करने का निर्णय कर लिया। उनके सामने पूजाघर में जीसस की क्रूस पर चढ़ी मूर्ति रखी थी और फ्रेम किया हुआ महात्मा गांधी का चरखा कातता चित्र टंगा हुआ था। मदर ध्यानमग्न हो गईं।
तभी सारे रोगी दल बनाकर वहां आए और धरती पर गिरकर रोते हुए क्षमा मांगने लगे, ”हमें क्षमा कर दो मां ! हमसे बड़ी भारी भूल हो गई। आप उपवास करेंगी तो हम भी सारे दिन उपवास करेंगे। जब तक आप हमें क्षमा नहीं कर देंगी, तब तक हम यहां से हिलेंगे भी नहीं।”
उन्हें रोता देखकर मदर को दया आ गई। उन्होंने सभी को क्षमा कर दिया और स्नेहपूर्वक अपनाते हुए कहा, “ठीक है, तुम लोग अब जाओ और अपना-अपना काम देखो। आज से मैं इस होम का नाम ‘गांधी जी प्रेम निवास करती हूं। तुम सबको भी गांधी जी के स्वदेशी
आंदोलन को अपनाना है। अपने हाथ से कते और बुने सूत का कपड़ा पहनना है।”
“हम ऐसा ही करेंगे मां! आपको वचन देते हैं।” उन सभी ने एक स्वर में कहा।
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