राजा की शंका का समाधान : महल में पहुंचकर महाराज ने पूछा, “पुत्री ! तुमने क्या प्रश्न किए और उसने क्या उत्तर दिए ?”
राजकुमारी विद्योत्तमा बोली, “पिताश्री ! मैंने एक उंगली उठाकर पूछा था कि क्या परमात्मा एक है? इस पर कवि ने दो उंगलियां उठाकर कहा कि जीवात्मा और परमात्मा दो हैं। दोनों का संयोग ही एक परमात्मा का अस्तित्व उत्पन्न करता है। जैसे स्त्री और पुरुष के संयोग से जीवन एक होता है।”
“और तुम्हारा दूसरा प्रश्न क्या था?”
राजकुमारी ने मुस्कराकर उत्तर दिया, “पिताश्री ! मैंने उन्हें अपनी पांच अंगुलियां दिखाकर पूछा था कि क्या यह संसार पांच तत्वों से बना है? इस पर उन्होंने मुट्ठी बांधकर बताया कि ये पांचों तत्व-जल, वायु, अग्नि, पृथ्वी और आकाश जब परस्पर एकजुट हो जाते हैं, तभी संसार का अस्तित्व सामने आता है। पांचों तत्वों के अलग-अलग रहने पर जगत का अस्तित्व सामने नहीं आ सकता।”
“फिर तो कवि कालिदास अत्यंत गूढ़ विद्वान हैं। हमें तत्काल तुम्हारे विवाह की तैयारियां प्रारंभ कर देनी चाहिए।’
‘जी पिताजी !” राजकुमारी ने धीरे से कहा और अपनी आंखें झुका लीं।
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