नेटाल इंडियन कांग्रेस : प्रिटोरिया में चल रहा मुकदमा सेठ अब्दुल्ला जीत गए थे। वहां से गांधी जी डरबन लौट आए। | उन्होंने वापस भारत लौटने का मन बना लिया। तभी नेटाल की सरकार ने एक ऐसा बिल पेश किया, जिसमें भारतीयों को वोट देने का अधिकार समाप्त हो जाने वाला था। उस बिल को पढ़ने के बाद वहां के भारतीयों ने बैरिस्टर गांधी को रोक लिया। गांधी जी ने धारा सभा में पेश करने के लिए उस बिल के विरोध में एक आवेदन-पत्र तैयार किया और उस पर दस हजार लोगों के हस्ताक्षर करवाए। इस आंदोलन में वहां के पुराने गिरमिटिया मजदूरों ने भी भाग लिया। ये एशियाई मजदूर एग्रीमेंट पर मजदूरी करने दक्षिण अफ्रीका आए हुए थे और गुलामों जैसा जीवन जी रहे थे।
बैरिस्टर गांधी ने सबको एकत्र करके संगठित किया और उनके हितों की रक्षा के लिए ‘नेटाल इंडियन कांग्रेस की स्थापना की। इस प्रकार वहां भारतीयों के आत्म-सम्मान के युद्ध का बिगुल | बज उठा।
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