नादान की जानलेवा सलाह | Nadan Ki Jaanleva Salah

नादान की जानलेवा सलाह | Nadan Ki Jaanleva Salah : किसी गाँव में मंथरक नाम का एक जुलाहा रहता था. वह अपने काम में बहुत कुशल था। एक दिन जब वह कपड़ा बुन रहा था, तो अचानक उसका करघा टूट गया। इस कारण मंथरक का सारा काम रुक गया। वह करघे के लिए नई लकड़ी लाने के लिए कुल्हाड़ी उठाकर जंगल की ओर चल पड़ा। समुद्र के किनारे उसे एक शीशम का वृक्ष दिखाई दिया। ‘इसी वृक्ष की लकड़ी करघे के लिए अच्छी रहेगी’ – ऐसा विचार करके जुलाहे ने वृक्ष की एक मोटी-सी शाखा पर कुल्हाड़ी चलानी चाही, पर तभी उसे एक आवाज सुनाई दी – ठहरो! इस वृक्ष को मत काटो।’

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जुलाहे का हाथ जहां का तहां रुक गया। उसने आवाज की दिशा में देखा और पूछा- तुम कौन हो और मुझे इस वृक्ष की लकड़ी काटने से क्यों रोक रहे हो?”
‘मैं एक यक्ष हूं और बरसों से इसी वृक्ष पर रहता हूं। मुझे इस स्थान का वातावरण बहुत सुहाता है। समुद्र की ओर से आती ठंडी हवाएं जब मेरे शरीर का स्पर्श करती हैं, तो मुझे बहुत आनंद मिलता है। इसीलिए मैं तुमसे आग्रह कर रहा हूं कि इस वृक्ष को मत काटो।’

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नादान की जानलेवा सलाह | Nadan Ki Jaanleva Salah : ‘यक्ष महोदय! लकड़ी तो मुझे जरूर चाहिए। लकड़ी नहीं ले जाऊंगा, तो मेरा गुजर – बसर कैसे होगा? मेरा परिवार भूखों मर जाएगा।’ जुलाहे ने कहा।
‘तुम्हारा परिवार भूखा नहीं मरेगा, इस बात का मैं आश्वासन देता हूं।’ यक्ष बोला – ‘तुम मुझसे कोई एक वर मांग लो।” यह सुनकर जुलाहा सोच में पड़ गया। फिर कुछ विचार करके बोला – ‘वर के विषय में तो मुझे अपने मित्र और अपनी पत्नी से सलाह लेनी पड़ेगी। ठीक है, अभी मैं इस वृक्ष को नहीं काटता। पत्नी और मित्र से सलाह करके आता हूँ। वे जैसा कहेंगे उसी के अनुसार काम करूंगा।’

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जुलाहा अपने गांव लौटा। उसका एक नाई मित्र था। उसने अपने नाई मित्र से कहा – ‘मित्र! एक यक्ष मुझ पर प्रसन्न हो गया है। उसने मुझसे एक वर मांगने के लिए कहा है। तुम मुझे यह बताओ कि उससे क्या मांगूं?” ‘इसमें सोचने की क्या बात है?’ नाई बोला – ‘तुम उससे किसी देश का राज्य मांग लो। तुम राजा बन जाओगे और मैं तुम्हारा मंत्री बन जाऊंगा। फिर हम आनंद से अपना जीवन व्यतीत करेंगे।’
‘ठीक सलाह दी है तुमने, पर इस विषय में अपनी पत्नी से और पूछ लू। आखिर वह मेरी जीवन संगिनी है। हम दोनों ने एक – दूसरे को वचन दिया है कि हम दोनों परस्पर सलाह करके ही हर कार्य किया करेंगे।” जुलाहे ने कहा।

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नादान की जानलेवा सलाह | Nadan Ki Jaanleva Salah : यह कहकर जुलाहा अपने घर गया और उसे सारी बातें बताई। सुनकर जुलाही बोली – ‘राजपाट संभालना तुम्हारे बस की बात नहीं। बहुत झंझट होते हैं उसमें। बेशक तुम एक कुशल कारीगर हो, पर अभी मुश्किल से उतना ही कमा पाते हो, जिससे कि हमारे परिवार का खर्चा निकलता रहे। तुम ऐसा करो कि उस यक्ष से अपने लिए एक सिर और दो हाथ और मांग लो। फिर तुम दोगुना कार्य कर सकोगे। इस तरह से हमारी आमदनी बढ़ जाएगी और परिवार को चलाना सुलभ हो जाएगा।’

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नादान की जानलेवा सलाह | Nadan Ki Jaanleva Salah :पत्नी की बात मानकर जुलाहा पुन: उसी वृक्ष के पास पहुंचा और उसने यक्ष से दो हाथ और एक अतिरिक्त सिर मांग लिया। यक्ष ने तत्काल उसकी इच्छा पूरी कर दी, लेकिन दो सिर और चार हाथों वाला वह जुलाहा जब गांव में पहुंचा, तो गांव वाले उसे देखकर भयभीत हो उठे। उन्होंने उसे कोई राक्षस समझा। वे सब उस पर पत्थर फेंकने और डंडों से पीटने लगे। गांव वालों ने उसे इतना मारा कि जुलाहे का दम निकल गया।
किसी ने ठीक ही कहा है। नादान व्यक्ति की सलाह कभी नहीं माननी चाहिए। जो व्यक्ति नादान की सलाह मानता है, उसका परिणाम अंतत: वैसा ही होता है जैसा उस जुलाहा का हुआ.

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