मोती झील में पहला स्कूल : मदर कलकत्ता में अपना खर्च एक स्कूल में अध्यापन करके चलाती थीं। उनका मन स्वयं एक स्कूल खोलने का था। इसके लिए उन्होंने चर्च के फादर हेनरी से मदद मांगी। फादर हेनरी ने उन्हें मदद करने का पूरा आश्वासन दिया। साथ ही आशीर्वाद देते हुए उन्होंने चारू नाम की एक नन को उनके साथ मोती
झील भेज दिया। वह गरीबों की बस्ती थी। उस बस्ती में पहले से एक संस्था कार्यरत थी। उसने मदर की | सहायता की। बस्ती में घूम-फिर कर उन्होंने मदर का परिचय लोगों से कराया और उनका उद्देश्य बताया। उन्हें बहुत खुशी हुई।
मदर को स्कूल के लिए झुग्गियों के बीच एक खुला स्थान पसंद आया। वहां एक नीम का पेड़ था। उसके नीचे बैठकर बच्चों को पढ़ाने का उन्होंने मन बनाया। वहां की साफ-सफाई करके मदर ने बच्चों को पढ़ाने का शिलान्यास कर दिया। पहले दिन गंदे कपड़े पहने पांच बच्चे आए। मदर ने पहले उन्हें नहलाया और उनके कपड़े साफ किए। फिर उन्हें सबसे पहले एक दूसरे से बातें करने का शिष्टाचार सिखाया। पहले दिन नीम की टहनी कलम बनी और जमीन ब्लैक बोर्ड।
बस्ती में मदर के स्कूल की चर्चा जोर-शोर से फैल गई। फिर तो उपहार स्वरूप कुरसी-मेज और | ब्लैक-बोर्ड तथा कॉपी-कलम आते चले गए। कुछ पढ़ी-लिखी महिलाएं भी शिक्षा देने के उद्देश्य से | मदर के पास आईं, क्योंकि बच्चों की संख्या बढ़ने लगी थी।
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