मिशन ऑफ चैरिटी की स्थापना : मदर के स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे असभ्य थे, पर मदर ने धीरे-धीरे उन्हें सभ्य बनाया। कुछ बड़े लोग भी वहां पढ़ने आने लगे। बस्ती वालों ने मिलकर सौ रुपये एकत्र करके मदर को दिए तो उन्होंने दो कमरे | किराए पर ले लिए। उनका किराया तब पांच रुपये प्रतिमाह था। उन्होंने एक कमरे में स्कूल खोला और दूसरे में रोगियों के लिए दवाखाना।
मदर की कड़ी मेहनत से उनका प्रयास सफल होता दिखाई देने लगा। लोग उनके कार्यों की प्रशंसा करने लगे। मदर ने अपनी संस्था का नाम ‘मिशन ऑफ चैरिटी’ रखा। स्कूल में पढ़ाने के लिए उन्होंने एक सिस्टर को नियुक्त किया और दूसरी को दवाखाना चलाने के लिए रखा। वे बस्ती में घूम घूम कर लोगों की परेशानियां सुना करती थीं और फिर उनका समाधान खोजा जाता था।
एक बार मदर माइकल की छोटी बेटी ‘मेबेल’ को साथ लेकर जब बस्ती की ओर गईं तो बड़ी तेज बारिश आ गई।वे समय से घर नहीं लौट सकीं। मेबेल के घर वाले घबराने लगे। परंतु बारिश से बचने का | कोई चारा नहीं था। मदर और मेबेल पूरी तरह भीग गई थीं। उनके पैर कीचड़ से सन गए थे।
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