Mirabai in Hindi : भक्तिकाल दौरान जन्मे कुछ प्रसिद्ध रचनाकारों में से एक मीराबाई कृष्ण भक्ति शाखा की एक महत्वपूर्ण कवियत्री थी. वो न सिर्फ एक कवियत्री थी, बल्कि उन्होंने अपना काम पूरा जीवन की कृष्ण भक्ति को समर्पित कर दिया था. उन्होंने अपने जीवन मे कृष्ण के प्रति भक्ति और दीवानगी की कारण कई कष्ट उठाएं.
उनका पूरा जीवन एक संघर्ष की कहानी बयां करता है. लेकिन इतनी मुश्किलों और विपत्तियों के बीच भी उन्होंने कृष्ण भक्ति से कभी खुद को अलग नही किया. आज उनका जीवन हम में से कई लोगो के लिए प्रेरणादायक है.
जन्म और प्रारंभिक जीवन | Mirabai in Hindi
Mirabai in Hindi : मीरा बाई का जन्म 16वी शताब्दी में हुआ था. इनका जन्म राजस्थान के एक शहर जोधपुर के एक छोटे से गाँव मेडवा में हुआ था. इनके पिता राजा रतन सिंह थे, जो कि एक राज घराना था. मीराबाई को बचपन मे माँ का ज्यादा साथ नही मिला था. इनकी माँ का जल्द ही देहांत हो गया था. परंतु इनकी माँ के वजह से मीराबाई का बचपन से ही कृष्ण भक्ति की ओर रुझान हो गया था. इसके अलावा मीराबाई एक राजपूत घराने की होने की वजह से उन्हें बचपन से ही अस्त्र शस्त्र, घुड़सवारी, संगीत,राजनीति और अध्यात्म का ज्ञान दिया गया था. 1516 में इनका विवाह मेवाड़ के राजकुमार भोजराज से करा दिया गया, जो राणा सांगा के पुत्र थे. जब उनका विवाह करवाया गया था, तब वो विवाह के लिए बिल्कुल भी इच्छुक नही थी.
मीरा बाई का कृष्ण भक्ति की तरफ पहला कदम | Mirabai in Hindi
Mirabai in Hindi : मीरा बाई को बचपन से कृष्ण से बहुत गहरा लागव था. यह लागव सिर्फ इस वजह से हुआ था कि एक बार उनकी माँ ने उनसे कृष्ण के बारे में कुछ ऐसा कह दिया दिया था, जो उनके मन मानस में पूरी तरह बैठ गया था.
एक बार की बात है जब मीराबाई बहुत छोटी थी. उनके पड़ोस में किसी के यहां बारात आई थी. वो भी अपनी माँ के साथ उस व्यक्ति की बारात छत से देखने के लिए गई. अनायास ही उन्होंने ने अपनी माँ से पूछा कि उनका दूल्हा कौन है? इस पर उनकी माँ ने जबाब दिया, की कृष्ण तुम्हारे दूल्हे है. बस यही वह क्षण था, जिसने मीराबाई की जिंदगी को बदल कर रख दिया. अब मीराबाई कृष्ण को ही अपना वर मानने लगी थी. वो मंदिर जाती, कृष्ण के सामने सज धज कर नृत्य करती रहती. लेकिन जब उनके विवाह का वक़्त आया तो, वो बहुत व्यथित हुई थी, और विवाह के लिए मना कर दिया था. लेकिन अंततः उन्हें विवाह करना ही पड़ा. शादी के वक़्त विदाई के समय मीराबाई अपने साथ कृष्ण की वह मूर्ति भी ले गई, जिसे वह अपना पति मानकर कृष्ण की पूजा किया करती थी.
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मीराबाई के पति का देहांत और उनका वैराग्य | Mirabai in Hindi
Mirabai in Hindi : मीराबाई के शादी के 2 साल बाद ही विधवा हो गई थी.उनके पति भोजराज एक युद्ध के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गए थे,इसके 2 साल बाद उनकी मृत्यु हो गई थी. उस वक़्त सती प्रथा बहुत प्रचलित थी. जब उनके पति की मृत्यु हुई तो सभी ने उन्हें सती होने के लिए दबाव दिया, लेकिन वह सती होने के लिए राजी नही हुई.इस कारण उनके परिवार का रुख उनके प्रति कठोर हो गया. विधवा होने के पश्चात इनके अंदर वैराग्य भाव और अधिक प्रबल हो गया,और ये पूरी तरह कृष्ण भक्ति में लीन रहने लगी. पहले इनकी भक्ति खुद तक सीमित रहती थी,लेकिन धीरे धीरे इनकी भक्ति की चर्चा चारो ओर होने लगी. ये रात को महल से निकल कर कही भी कृष्ण मंदिर में हो रहे भजन में शामिल हो जाया करती थी. वही कृष्ण के सामने नृत्य किया करती थी.यह बात जब उनके परिवार वालो को पता चली तो उन्हें यह बात स्त्री मर्यादा और कुल की मर्यादा के खिलाफ लगी. जिस वजह से सभी मीरा बाई के प्रति कठोर व्यवहार करने लगे. इनके पति की मृत्यु के बाद उंनके सौतेले भाई विक्रमादित्य को राजा बनाया गया था. विक्रमादित्य का स्वभाव इनके प्रति काफी कठोर होता गया, और उनको मारने का योजनाएं रचने लगा.
मीराबाई के गुरु | Mirabai Ke Guru
Mirabai in Hindi : श्री रैदास जी जो स्वयं एक बहुत बड़े भक्त थे, वो मीराबाई के गुरु थे. रैदास जी को संत रविदास के नाम से जानते है. रैदास जी मीरा बाई की कृष्ण की प्रति भक्ति से बहुत प्रभावित थे. बस इसी वजह से उन्होंने मीराबाई को अपना शिष्य बनाया, और कृष्ण के नाम की गुरु दीक्षा दी.
मीराबाई और तुलसी दास का संवाद | Mirabai & Tulsidas in Hindi
Mirabai in Hindi : मीराबाई के ऊपर उनके परिवार के लोगो ने बहुत सारी योजनाएं बनाई, एक बार तो उन्हें खाने में विष देकर मारने की कोशिश की गई थी, लेकिन मीराबाई को कुछ भी नही हुआ. लेकिन फिर भी वह अपनी भक्ति में किसी भी प्रकार की बाधा नही चाहती थी. इसी लिए उन्होने तुलसीदास को पत्र लिखकर उनसे परामर्श लिया, की क्या वो अपना घर छोंड़ दे.
इस पर तुलसी दास ने उन्हें जवाब देते हुए कहा कि यदि अपना कोई कितना भी प्यारा क्यों न हो, यदि वह भगवान का भक्त नही है, और भक्ति के मार्ग में बाधा उत्पन्न करता है, तो उसे छोंड़ देना चाहिए. इसके बाद बाद मीराबाई ने अपना घर छोंड़ दिया, और वृंदावन चली गई.
मीरा वृन्दावन में गोस्वामी से मुलाकात | Mirabai Story in Hindi
Mirabai in Hindi : वृंदावन में जाकर वह गोस्वामी से मुलाकात करने चाहती थी. जब वह उनके आश्रम पहुची, और द्वारपाल से उनसे मिलने की इच्छा जाहिर की. इस पर गोस्वामी ने द्वारपाल से कहलवाया की हम पुरुष है और स्त्री से मुलाकात नही करते. जब यह खबर लेकर द्वारपाल मीराबाई के पास गया तो वो जोर से हसी और बोली कि मैने तो सुना रहा कि वृंदावन में तो सिर्फ एक ही पुरुष है ( कृष्ण) ये दूसरा पुरुष कहा से पैदा हो गया. जब गोस्वामी ने मीरा के यह विचार सुने तो वे दौड़ते हुए आये और मीरा के चरणों मे गिरकर कहाँ की मैंने ऐसी कृष्ण भक्ति आज तक नही देखी.
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मीरा बाई का द्वारिका आगमन
Mirabai in Hindi : मीराबाई कहती थी कि शादी के बाद पति का घर की पत्नी का घर कहलाता है, और मेरे पति कृष्ण का घर तो द्वारिका है. इसलिए वो द्वारिका को अपना ससुराल मानती थी. इसीलिए वो द्वारिका में जाकर रहने लगी. वहाँ वो हर वक़्त कृष्ण भक्ति में लीन रहने लगी. जहां कहीं भी कृष्ण का भजन कीर्तन होता था, वहां वो भी शामिल होती थी. कृष्ण की भक्ति में उनकी दीवानी बन गई थी मीरा. उन्हें इस बात की बिल्कुल भी फ्रिक नही थी कि समाज उनके बारे में क्या कह रहा है. यहाँ आकर वो पूरी तरह से साधू संतो की जीवन शैली को जीने लगी थी.
मीराबाई की मृत्यु
Mirabai in Hindi : मीरा बाई की मृत्यु के बारे में ऐसा कहा गया है कि एक बार भगवान की भक्ति करते करते वह उनकी मूर्ति में ही समा गई. मूर्ति के पास ही मीरा बाई की साड़ी का एक टुकड़ा मिला था. इस प्रकार भगवान ने सशरीर ही उन्हें अपने धाम बुला लिया.
मीराबाई का द्वापर युग से संबंध
Mirabai in Hindi : बहुत सारे विद्ववानों का मत है कि मीराबाई द्वापर युग की एक गोपी थी, जो राधा जी की सखी थी. वो मन ही मन कृष्ण को चाहती थी, परंतु राधा जी के प्रभाव के कारण उनका प्रेम दबा ही रहा. फिर उनका विवाह किसी ग्वाले के साथ कर दिया गया था. जब उनके ससुराल में यह बात पता चली तो उनका घर से बाहर निकलना बंद कर दिया था. मीराबाई ने अपनी कुछ रचनाओं में कृष्ण से अपने संबंधों का वर्णन भी किया है.
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ऐसी कृष्ण भक्त जिनकी भक्ति अपने आप मे अद्वतीय थी. उनके जन्म के याद में मीराबाई जयंती मनाई जाती है.