Mahashivratri Ka Mahtv
Mahashivratri Ka Mahtv : महाशिवरात्रि पर्व – कब और क्यूँ मनाई जाती हैं शिवरात्री हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह में कृष्णा पक्ष की त्रियादाशी में चतुर्दशी महाशिवरात्री पर्व के रूप में पुरे भारत वर्ष में धूम – धाम से मनाई जाती हैं. इस माह पर्व के बारे में कई पौराणिक कथाएँ मान्य हैं. हिन्दू धर्म ग्रन्थ शिव पूराण की विश्व्सन्हिता के अनुसार इस पावन तिथि की महा निशा में भगवान् भोलेनाथ का निराकार स्वरुप प्रतीक. लिंग का पूजन सर्वप्रथम ब्रह्मा जी और भगवान् विष्णु जी के द्वारा हुआ.
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Mahashivratri Ka Mahtv : जिस कारण यह तिथि महाशिवरात्रि के नाम से विख्यात हुई. पौराणिक मान्यता हैं की इसी दिन भोले नाथ का विवाह माँ शक्ति के साथ हुआ था. जिस कारण भक्तो के द्वारा रात्री के समय भगवान शिव की बारात निकाली जाती हैं. कुछ विद्द्वानो का यह भी मानना हैं की इस दिन भगवान् शिव ने कालकूट नाम का विष पान कर अपने कंठ में रख लिया था.
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Mahashivratri Ka Mahtv : कहा जाता हैं की यह विष सागर मंथन के समय निकला था. यह पर्व परम पावन उपलब्धि हैं जो जीव माँ को प्राप्त होकर उसके परम भाग्याशाल होने का संकेत देता हैं. यह पावन व्रत सुबह से ही प्रारम्भ हो जाता हैं. इस दिन शीव मंदिरों में जा कर. मट्टी के बर्तनों में पानी भर कर ऊपर से बेल पत्र, आम धतूरे के पुष्प आदि डाल कर शिवलिंग पर चढाये जाते हैं.
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Mahashivratri Ka Mahtv : अगर आस पास में शिवालय ना हो तो शुद्ध गीली मिटटी से ही शिवलिंग बना कर उसे पूजने का विधान हैं. इस पर्व पर रात्री जागरण का विशेष महत्व हैं. हिन्दू शास्त्रों के अनुसार भगवन शिव मनुष्यों के सभी पापो को हरने वाले हैं. सांसारिक कष्टों से एक मात्र भगवान् शिव ही मुक्ति दिला सकते हैं. ॐ नमः शिवाय!!!
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