महामूर्ख काली और विद्वान ब्राह्मण : संस्कृत भाषा के प्रकाण्ड विद्वान महाकवि कालिदास प्रारंभ में निपट मूर्ख थे। एक बार वे एक पेड़ की डाल पर उल्टे बैठकर उसे उस ओर से काट रहे थे, जिस ओर वह डाल पेड़ से जुड़ी हुई थी। उन्हें ऐसा करते हुए कुछ विद्वान पंडितों ने देखा तो वे आपस में बातें करने लगे। | एक बोला, ”इससे बड़ा मूर्ख इस दुनिया में दूसरा नहीं होगा। देखो, यह जिस डाल पर बैठा है, उसे ही काट रहा है।”
दूसरा बोला, “हां! यह डाल कट गई तो यह नीचे गिर पड़ेगा और मर जाएगा या फिर चोट खा बैठेगा।”
तीसरा बोला, “ऐसे जड़ मूर्ख की ही तो हमें तलाश थी। इसे अपने साथ ले चलो और राजकुमारी से इसका शास्त्रार्थ करा दो। यदि हमारा तीर सही निशाने पर बैठा, तो राजकुमारी को इससे विवाह करना होगा और इसकी असलियत जानने के बाद राजकुमारी को ज्ञात होगा कि अहंकार का क्या फल होता है। उसने हमारा जो अपमान किया है, उसका बदला इसी प्रकार से लिया जा सकता है।”
पहला बोला, “तुम ठीक कहते हो। इसे किसी तरह पेड़ से उतारो।” बाद में तीनों ने बहलाफुसलाकर उसे पेड़ से नीचे उतारा।।
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