लकडहारे की सीख (पर्यावरण की जीत) | Lakadhaare Ki Seekh | Bacho Ki Kahaniyan
लकडहारे की सीख (पर्यावरण की जीत) | Lakadhaare Ki Seekh | Bacho Ki Kahaniyan : जगन नाम का एक गरीब लकड़हारा गांव में एक छोटी-सी झोंपड़ी में रहता था। कुल चार लोगों का परिवार था उसका। उसकी पत्नी आसपास के घरों में काम करके घर के खर्चे के लिए सहयोग करती थी। उसकी दो लड़कियां थीं, वह अपने परिवार से बेहद प्यार करता था। आजीविका चलाने के लिए वह जंगल में जाकर पुराने व सूखे पेड़ काटता और लकड़ियों को बाजार ले जाकर बेच देता। जब कभी उसे कोई सूखा या पुराना पेड़ नहीं मिलता तो वह खाली | हाथ ही लौट आता क्योंकि चंद पैसों के लिए हरे-भरे पेड़ काटना उसे पसंद नहीं था। ।। ऐसे ही एक दिन जब वह जंगल से खाली हाथ लौटा तो उसकी लड़की ने कहा, । ‘पिताजी ! आपने आज कोई दूसरा पेड़ क्यों नहीं काट लिया?”
लकड़हारा बोला, ”मैं सूखे बेकार खड़े पेड़ ही काटता हूं। उन्हें तो वैसे भी एक-न-एक दिन गिरना ही होता है।” । तभी उसकी दूसरी लड़की, बोली, “लेकिन मैं ऐसे कई लोगों को जानती हूं जो हरे पेड़ = भी काट देते हैं, फिर आप ऐसा करना क्यों पसंद नहीं करते?”
। लकड़हारा बोला, “मेरी प्यारी बेटियों ! क्या तुम दोनों जानती हो कि हरे पेड़ हमारे जीवन के लिए कितने जरूरी हैं। ये वातावरण को स्वच्छ तथा हवा को शुद्ध करते हैं। हरे पेड़ न होंगे। | तो धरती पर लोगों का सांस लेना मुहाल हो जाएगा।”
“शुद्ध हवा क्या होती है पिताजी?” लड़की ने पूछा।
लकड़हारा बोला, “तुम अभी छोटी हो, समझ नहीं पाओगी। फिर भी मैं बताता हूं…हम वातावरण से ऑक्सीजन खींचते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं। हरे पेड़ कार्बन
डाइऑक्साइड को खींच कर पुनः ऑक्सीजन में बदल देते हैं।” । तभी बीच में एक लड़की ने टोका, “पिताजी, विस्तार में न जाकर हमें इतना बताइए कि । पेड़ क्यों जरूरी हैं ?” । लकड़हारा बोला, “ठीक है, सुनो ! पेड़ हमारे पर्यावरण को स्वच्छ रखते हैं तथा हवाओं के वेग तथा बाढ़ को रोकने में सहायता भी करते हैं। मेज, कुर्सी-दरवाजे इत्यादि भी इन्हीं की लकड़ी से बनते हैं।”
दोनों लड़कियां एक साथ बोलीं, ”बस पिताजी, हम सारी बात समझ गईं। हमें समझ आ गया कि हरे पेड़ न हों तो इस धरती पर जीना असंभव हो जाएगा।”
इस बात को समझना आज हम सभी के लिए जरूरी है।