kindergarten Short Stories
kindergarten Short Stories : एक बार एक गांव में गरीब ब्राह्मण रहता था। ब्राह्मण एक बड़ी पूजा करना चाहता था। उसे पूजा में चढ़ाने के लिए एक बकरी की बलि देनी थी, इसलिए वह पास के गांव में एक बकरी मांगने के लिए चल पड़ा। एक अमीर व्यक्ति ने उसे एक मोटी बकरी दान में दी, जिसे पाकर वह बहुत खुश हुआ। ब्राह्मण ने उस बकरी को जांचा-परखा कि कहीं उसका कोई अंग खराब न हो, क्योंकि ऐसे जानवर को देवताओं को अर्पण नहीं किया जाता। जब उसने बकरी को चारों ओर से परख लिया और उसे बिल्कुल ठीक पाया, तब वह बहुत खुश हुआ. बाह्मण ने उसे अपने कंधे पर लाद लिया और अपने घर की ओर चल पड़ा.
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kindergarten Short Stories : जब वह अपने घर की ओर जा रहा था तब तीन ठग उसके पीछे लग गए. उनकी आँखों में बकरी को देखकर चमक आ गयी. यदि यह बकरी हमे मिल जाए तो हम इसे मारकर इसका मांस कई दिन तक खा सकते हैं। एक ठग अपने होंठों पर यह सोचकर जबान फेर रहा था, तो दूसरों के मुंह में पानी आ रहा था।
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kindergarten Short Stories : हमें ब्राह्मण से बकरी छुड़ाने का कोई उपाय सोचना चाहिए। एक ठग ने दबी आवाज में दोनों ठगों को बकरी छीनने का उपाय बताया। वे भी उसका तरीका सुनकर मुस्कराए और खुश होकर तालियां बजाने लगे। ब्राह्मण चुपचाप अपने घर की ओर जा रहा था, तभी एक ठग ने उसका रास्ता रोक कर कहा-‘ श्रीमान! आप अपने कंधे पर यह गंदा कुत्ता क्यों लेकर जा रहे हैं। आपके जैसी हस्ती वाले को यह शोभा नहीं देता।” ब्राह्मण ऐसा सुनकर बहुत नाराज और हैरान हुआ। तुम क्या अंधे हो, तुम्हें दीखता नहीं, मैं एक बकरी को ले जा रहा हूं। ब्राह्मण फिर आगे चलने लगा। ठग ने फिर कहा – ‘मुझे कोई बकरी नहीं दीख रही, मुझे अभी भी यह कुत्ता दिखाई दे रहा है, जिसे तुमने अपने कंधे पर उठा रखा है, माफ करना।”
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kindergarten Short Stories : ब्राह्मण अभी भी चला जा रहा था। वह दुखी और निराश था, तभी दूसरा ठग आ गया और अपने मुंह पर हाथ रख कर बोला-‘हाय राम! श्रीमान आप अपने कंधे पर मरा हुआ बछड़ा क्यों रख कर ले जा रहे हैं? हो सकता है किसी समय यह सुंदर जानवर रहा हो, पर अब यह मर चुका है और आपका इसको कंधे पर लादकर ले जाना शोभा नहीं देता।’
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kindergarten Short Stories : ब्राह्मण को बहुत गुस्सा आया। उसने कहा-‘तुम कहना क्या चाहते हो? यह कोई मरा हुआ बछड़ा नहीं है, यह एक सुंदर जवान बकरी है।’ ‘तुम इसे बकरी समझते रहो, परंतु है यह मरा हुआ बछड़ा ही हैं’-ठग ने कहा और वह गायब हो गया। ब्राह्मण ने हैरानी से अपना सिर घुमाया और आगे चलता रहा।
थोड़ी देर बाद ही तीसरा ठग आ पहुंचा। उसने भी हैरानी से ब्राह्मण को देखा और कहा-‘ श्रीमान! आप को क्या हो गया है। आप इतने भारी गधे को कंधे पर लादकर ले जा रहे हैं। कितनी अजीब बात है।” ब्राह्मण यह सुनकर डर गया। उसने घबराहट में सोचा – मुझे कैसा अजीब जानवर दिया गया है।
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शायद यह कोई बुरी आत्मा या राक्षस है, जो पल-पल अपनी शक्ल बदल देता है, क्योंकि तीन अजनबी आदमियों ने इसे तीन अलग-अलग शक्लों में देखा है। उसने जोर से चीख मारी और बकरी को अपने कंधे पर से उतार कर फेंक दिया। अब वह जल्दी-जल्दी अपने घर की ओर चल पड़ा।
तीनों ठगों ने उसे भागते हुए देखा तो बहुत खुश हुए। उन्होंने फटाफट बकरी को उठा लिया। ‘हमने अपने झूठे वचनों से किस प्रकार ब्राह्मण को बेवकूफ बनाकर ठग लिया। वह भूल गया कि ऐसी परिस्थिति में उसको अपनी योग्यता पर भरोसा करना चाहिए, न कि जो कोई कुछ भी कहे उसे मानता चला जाए।’
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