जैसा देश, वैसा भेष

जैसा देश, वैसा भेष : सन् 1927 में गोंजा ने भारतभूमि पर अपना पहला कदम रखा। स्पेन की एक संन्यासिनी ‘टेरेसा’ से प्रेरणा लेकर उसने अपना नाम सिस्टर टेरेसा रख लिया।
टेरेसा का जन्म यद्यपि ईसाई परिवार में हुआ था और वे चर्च की सेवा में ही भारत आई थीं। परंतु कलकत्ता के निराश्रित और बीमार लोगों को देखकर उन्होंने चर्च का पहनावा उतार फेंका। उन्होंने नीली किनारे वाली मोटी खादी की सफेद धोती पहनना शुरू कर दिया। उस पहनावे से वे भारतीयों के साथ
अधिक नजदीकी महसूस कर सकती थीं। | हिमालय की तराई की यात्रा करते समय ऊंची बर्फीली चोटियों के दिव्य दृश्य को देखकर सिस्टर टेरेसा को लगा कि जैसे कोई दिव्य-शक्ति उन्हें दीन-दुखियों की सेवा करने का आदेश दे रही है। | सिस्टर टेरेसा को सिस्टर निवेदिता का ध्यान आया, जिन्होंने वर्षों पूर्व विदेशी होते हुए भी भारत में स्वामी विवेकानंद की शिष्या के रूप में भारत के धर्मग्रंथों का गहरा अध्ययन किया था और समाज सेवा के लिए भारत को ही अपनी कर्मभूमि बनाया था। हिमालय की गोद में ही उन्होंने अंतिम सांस ली थी और अपनी मृत्यु को आनंदमयी बनाया था।
उनका स्मरण आते ही सिस्टर टेरेसा ने मन में निश्चय किया, ‘मैं भी अपने आपको मानव सेवा में समर्पित कर दूंगी।’

जैसा देश, वैसा भेष

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