Hanuman Jayanti Essay in Hindi
Hanuman Jayanti Essay in Hindi : हिंदू धर्म में हनुमान जी को सर्व शक्तिमान और प्रभु श्रीराम का परम भक्त माना जाता है । जो कि रामायण महाकाव्य जैसे महाग्रंथ के प्रमुख पात्र से एक है । ऐसी अनुश्रुति है कि हनुमान जी, भगवान शंकर के ग्यारहवें अवतार थे । जिन्हें रुद्रावतार भी कहा जाता है । हनुमान जी का शरीर वज्र की भांति बलशाली और मजबूत है, इसलिए उन्हें बजरंगबली भी कहा जाता है । हनुमान जी को सात चिरंजीवियों में से एक गिना जाता है । ऐसा कहा जाता है कि वह सभी कला में माहिर है । बुद्धिजीवियों में सबसे विद्वान और वीरों में महावीर, हनुमान अपने पराक्रम और विद्वता के लिए प्रसिद्ध है । वह अपने शरीर को चींटी की तरह छोटा भी कर सकते हैं और एक पर्वत की भांति विशाल भी बना सकते हैं । वह एक छलांग में हिंद महासागर को पार करके रावण की लंका तक जा पहुंचे थे । इस प्रकार उनका पराक्रम और उनका ज्ञान चर्चित रहा है । हनुमान जी ने भगवान श्रीराम की मित्रता सुग्रीव से करवाई थी । सब ने मिलकर लंका पर विजय प्राप्त करने में भगवान श्रीराम की सहायता की थी, और राक्षसों का मर्दन किया था । इसका उल्लेख रामायण में मिलता है ।
हनुमान जी का जन्म-
Hanuman Jayanti Essay in Hindi : ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार- हनुमान जी का जन्म, आज से लगभग एक करोड़ पचासी लाख उनसठ हज़ार एक सौ तेरह वर्ष पहले, मंगलवार के दिन, चैत्र पूर्णिमा को मेष लग्न और चित्रा नक्षत्र में प्रातः 6:03 बजे एक गुफा में हुआ था । यह गुफा भारत के झारखंड राज्य में स्थित छोटे से जिले गुमला के अंजन नामक छोटी पहाड़ी ग्राम में स्थित है ।
रूप विवरण-
Hanuman Jayanti Essay in Hindi : रामायण में वर्णित हनुमान जी का रूप- उनका मुख वानर समान और शरीर मानव समान है । शरीर अत्यंत बलिष्ठ और वज्र समान है । हनुमान जी जनेऊ धारण करते हैं तथा केवल लंगोट प्रयोग करते हैं । मस्तक पर स्वर्ण का मुकुट और शरीर पर कुछ आभूषण धारण करते हैं । हनुमान जी की पुंछ वानर समान लंबी है और अस्त्र में गदा का प्रयोग करते हैं ।
हनुमान जी के प्रख्यात नाम तथा उन नामों के अर्थ-
Hanuman Jayanti Essay in Hindi : हनुमान जी के पिता का नाम केसरी था, इसलिए उन्हें केसरी नंदन कहा जाता है । पवन देव के मुंह बोले पुत्र होने की वजह से मारुति नंदन भी कहा जाता है । मारुति अर्थात पवन अर्थात वायु, इसलिए उन्हें मारुति नंदन कहा जाता है । महाबली हनुमान को महावीर नाम से भी जाना जाता है । सभी संकट से पार लगा देते है, इसलिए संकट मोचन कहा जाता है । हनुमान जी को बालाजी और हनुमते नाम से भी जाना जाता है ।
सूर्य फल का ग्रहण-
Hanuman Jayanti Essay in Hindi : शास्त्रों में इस कथा का प्रसंग आया है कि जब हनुमान जी शिशु अवस्था में थे और उनकी माता जंगल में फल लाने के लिए गई थी । हनुमान जी को भूख लगी और वह सूर्य को फल समझकर उसे पकड़ने के लिए आकाश में उड़े । जब सूर्य को ग्रहण करने के लिए निकट पहुंचे, उसी समय राहु सूर्य को ग्रहण करने के लिए आया था । हनुमान जी को देखकर सोचा- कोई दूसरा राहु है और भयभीत होकर चुपचाप भाग गया । इंद्रदेव के पास जाकर प्रार्थना की कि मुझे अपनी क्षुधा समाप्त करने के लिए आपने चंद्र और सूर्य दिए थे । आज जब सूर्य को ग्रहण करने गया तो वहां कोई दूसरा राहु उपस्थित था । इस बात से इंद्रदेव भयभीत हो गए और वह सूर्य के पास जाकर असलियत जानना चाहते थे । जब वहां गए तो देखा हनुमान जी सूर्य को ग्रहण करने जा रहे थे । उन्होंने अपने वज्र से हनुमान जी पर आक्रमण कर दिया । वज्र की चोट से हनुमान जी पृथ्वी पर एक पहाड़ की चोटी पर जा गिरे और मूर्छित हो गए । पवन देव उन्हें धरती पर मूर्छित पड़े देखें तो उन्होंने क्रोधित होकर पूरी सृष्टि की वायु को रोक दिया । जिससे सृष्टि में हाहाकार मच गया और कोई भी श्वास लेने में सक्षम नही था । भयभीत होकर सुर, असुर, किन्नर, यक्ष सभी ब्रह्मा जी के पास सहायता के लिए गए । ब्रह्मा जी सभी को लेकर पवन देव के पास गए, और असली कारण पूछा- पवन देव, हनुमान जी को गोद में लिए उदास अवस्था में बैठे हुए थे । ब्रह्मा जी ने हनुमान जी को पुनर्जीवित कर दिया । तब जाकर पवन देव ने वायु संचार किया और सृष्टि का कार्य प्रारंभ हुआ । वज्र की चोट से हनुमान जी की ठुड्डी तनिक टेढ़ी हो गई, ठुड्डी को संस्कृत में हनु कहते हैं । इसी वजह से हनुमान नाम पड़ा । हनुमान जी के शरीर पर वज्र का कोई खास असर नहीं हुआ । वज्र की तरह कठोर शरीर की वजह से बजरंग बली नाम पड़ा । सभी देवी देवता हनुमान जी को अमोघ वरदान दिए । ब्रह्मा जी के आशीर्वाद से किसी भी शस्त्र का कोई असर नहीं होगा । वरुण देव ने पाश और जल से सदा सुरक्षित रखा । यमदेव ने निरोग और चिरंजीवी रहने का आशीर्वाद दिया ।
श्रीराम को समर्पित भक्ति-
Hanuman Jayanti Essay in Hindi : शास्त्रों के अनुसार श्री हनुमान जी का जन्म केवल श्री राम की भक्ति और उनके कार्यों को कार्यान्वित करने के लिए हुआ था । हनुमान जी की हर सांस में केवल श्रीराम का ही स्मरण होता है । एक प्रसंग के अनुसार विभीषण ने श्री हनुमान जी को ताना मारते हुए अपनी भक्ति प्रदर्शित करने को कहा- तो श्रीराम की सभा में हनुमान जी ने अपना सीना चीर कर, भगवान श्री राम और माता जानकी के दर्शन अपने सीने में कराकर अपने सच्ची भक्ति का उदाहरण दिया था ।
सुग्रीव के मित्र और रावण की लंका में श्री राम के प्रथम दूत-
Hanuman Jayanti Essay in Hindi : भगवान श्री राम और लक्ष्मण जी को श्री हनुमान जी किष्किंधा पर्वत पर मिले थे । जब वे दोनों माता सीता को वन में खोज रहे थे । श्री हनुमान जी, अपने परम मित्र वानर राज सुग्रीव से उनकी मित्रता करवा दी । बाद में, सुग्रीव की सेना के साथ रावण का वध करने, राक्षसों का मर्दन करने और माता सीता को पुनः अयोध्या ले आने में, श्री हनुमान जी का विशेष योगदान रहा है । माता सीता के हरण के पश्चात रावण की लंका में माता सीता से भेंट करने के लिए श्रीराम के प्रथम दूत बनकर श्री हनुमान जी गए थे ।
कलयुग में हनुमान जी-
Hanuman Jayanti Essay in Hindi : ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी को यमदेव से चिरंजीवी आशीर्वाद प्राप्त है अर्थात वह युगो युगो तक धरती पर रहेंगे । कलयुग में भी श्री हनुमान जी धरती पर भगवान श्री राम की भक्ति में लीन रहेंगे और अपने भक्तों पर हमेशा कृपा दृष्टि बनाए रखेंगे ।
Hanuman Jayanti Essay in Hindi : आज बहुत सारे दिन बन रहे हैं बहुत सारे योग बन रहे हैं लेकिन जो सबसे बड़ा योग हम जिसे मानते हैं वो हैं हनुमान जयंती. ये कार्तिक मॉस की कृष्ण पक्ष की जो चतुर्दशी तिथि हैं हमारे शास्त्रों में इसका बहुत अच्छा विधान बताया गया हैं. आज की तिथि में बहुत सारे ख़ास प्रयोग कर सकते हैं आप आज की तिथि को कई अलग अलग नामो से जानते हैं. जैसे आज हनुमान जयंती हैं वैसे ही आज को रूप चतुर्दशी भी हैं, नरक चतुर्दशी भी हैं. आज यम चतुर्दशी भी जानी जाती हैं. तो आइये सबसे पहले जान लेते हैं की आज हनुमत जयंती पर आपको क्या करना चाहिए. शास्त्रीय धारणा ऐसी हैं की हनुमान जी का जन्म आज हुआ था लेकिन कुछ लोग जो हैं उसके बारे में कुछ भ्रान्ति रखते हैं. तो आज हम आपको सविस्तार से बताएंगे की आज की तिथि का महत्व क्या हैं आज आप क्या क्या कर सकते हैं. आज की जो तिथि हैं वो आपको हर प्रकार के सुख और शांति प्रदान करने वाली तिथि हैं. हनुमंत आराधना कर लेना आज की तिथि में आपके लिए बहुत ज्यादा लाभकारी होता हैं और आप हर प्रकार की सीधी के लिए बहुत सरल आपको साधन मिल सकता हैं. पुरानो के अनुसार कार्तिक मॉस के कृष्णा पक्ष में चतुर्दशी तिथि में मंगलवार का दिन था और स्वाति नक्षत्र में मेष लग्न में भगवान स्वयं महादेव ने शिवजी ने माँ अंजना के गर्भ से रूद्र अवतार लिया था जो उनका ग्यारहवां अवतार था. विभिन्न मतों के अनुसार देश में हनुमत जयंती वर्ष में दो बार मनाई जाती हैं जैसे हमने कहा हनुमान जी के जन्म को लेकर थोड़ी सी दुविधा थोड़ी सी भ्रान्ति हैं.
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Hanuman Jayanti Essay in Hindi : पहले जो जन्म तिथि मनाते हैं वो हैं चैत पक्ष की पूर्णिमा को और दूसरी हैं कार्तिक कृष् पक्ष की चतुर्दशी को. अब हम आपको बताएंगे की कार्तिक कृष्णा पक्ष की जो चतुर्दशी हैं उसके लिए हमारे शास्त्र में प्रमाण कहा कहाँ मिलते हैं – सबसे पहले और सबसे मजबूत प्रमाण यह हैं की स्वयं वाल्मीकि जी ने महर्षि ने रामायण में लिखा हैं उनके अनुसार हनुमान जी का जन्म कार्तिक मॉस के कृष्णा पक्ष की चतुर्दशी को हुआ था तो आज का जो दिन हैं वो हनुमत आराधना से बहुत महत्वपूर्ण जुदा हुआ दिन हैं. जिन भी लोगो की कुंडली में मगल देव की स्थिति ना अच्छी हो. उस शनि राहू और केतु की स्थिति ना हो तो आपको बहुत अच्छा लाभ मिल सकता हैं और ये जो पर्व का काल हैं दिवाली पर लोग investment करते हैं निवेश करते हैं जो लोग भवन भूमि खरीदना चाहते हो, वाहन खरीदना चाहते हो और उनको लाभ न मिल रहा हो उनको हनुमंत आराधना कर लेने से मंगल देव की पूरी कृपा मिलती हैं. मंगल देव यानी साक्षात हनुमान जी जिनकी आराधना से बहुत सारे कार्य पुरे हो सकते हैं और अब हम आपको ये भी आगे बताएंगे की आपको किस विधि विधान से, किस मन्त्र से, किस माध्यम से हनुमंत आराधना करनी चाहिये.
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Hanuman Jayanti Essay in Hindi : आपक मन जरुर ये प्रश्न उठा होगा की मंगल की पूजा अर्चना करना से उसका दोष दूर हो सकता हैं – तो हम आपको बता दे मंगल देवता हैं और हनुमान जी के बारे में कहा गया हैं की मंगल को जन्मे मंगल ही करते तो जिन लोगो की कुंडली में मंगल दोष हैं खासकर जो नव युवक हैं नव युवतियां हैं जिनके विवाह में बार बार बाधा आती हैं. मंगल दोष एक बहुत बड़ी समस्या बन कर आपके सामने आता हैं तो आज की तिथि आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाती हैं जिस भी माध्यम से जो भी प्रक्रिया आपको जानकारी हो. आपके परिवार के लोग आपको बताएं सुझाव दे. आपके परिवार के गुरु या आचार्य ने जो आपको सुझाव दिया हो आप उस विधि से आराधना कर सकते हैं नहीं तो थोडा सा इंतज़ार कीजिये. हम आपको बताएंगे की किस विशी से आप हनुमंत आराधना करे जिससे आपकी कुंडली में जनित जो मंगल दोष हैं शनि रहू केतु के द्वारा जो भी दूरयोग बन रे हैं उसे आप कैसे control कर सकते हैं, कैसे नियंत्रित कर सकते हैं. तो पूजा अर्चना कीजिये. हनुमान जयंती पूरा पूरा लाभ उठाइए इसका.
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Hanuman Jayanti Essay in Hindi : महिलाए हनुमान जी को स्पर्श ना करे लेकिन पूजा अर्चना आप अच्छे से कर सकती हैं. उसमे कही कोई बाधा नहीं हैं. आप हनुमान जी को सांकेति रूप से पूजा कीजिये. आप उनको स्पर्श मत कीजिये. हनुमान मंदिर जा सकते हैं. हनुमान जी अपने मंदिर में अपने स्थान में जहाँ भी स्थापित हैं जिस गर्वि कहते हैं आप गर्वि में जा सकती हैं. गर्वि में जा कर के जो भी भोग आपने स्वयं बनाया हैं. जो आपने बाज़ार से खरीदा हैं. आपने अगर धुप दीप में वेध्य उपचार की सारी सामग्री इक्कठा की हैं. एकत्रित की हैं तो आप इसे जा कर मंदिर में जो भी आचार्य हैं आप उनको दे सकती हैं उनके माध्यम से आरधना कर सकती हैं नाना प्रकार के हनुमान से जुड़े हुवे हैं आप वहां गर्वि में खड़े हो कर उनका ध्यान कर के उनका पाठ सूना सकते हैं तो महिलाओं के लिए कोई बाध्यता नहीं हैं की आप हनुमान जी की आरधना नहीं कर सकते क्यूंकि वो बाल ब्रह्मचारी है तो आप उनका स्पर्श नहीं करेंगी. आप पूरी तरह से आराधना से लाभ ले सकते हैं.
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