गांधी जी की स्वदेश वापसी : अब दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी का कोई काम नहीं रह गया था। वे भारत लौटना चाहते थे। लेकिन . दक्षिण अफ्रीका के लोग उन्हें छोड़ नहीं रहे थे। गांधी जी ने उन्हें समझाया कि उन्हें जब कभी उनकी जरूरत होगी तो वे यहां अवश्य आएंगे। . आखिरकार वे मान गए और उन्होंने बहुमूल्य उपहारों से उन्हें लाद दिया। उपहारों में बहुमूल्य सोने के जेवर और हीरों की कीमती अंगूठियां भी थीं। परंतु गांधी जी ने उन उपहारों का एक ट्रस्ट बनाकर ‘नेटाल इंडियन कांग्रेस’ को सौंप दिया। उसको उपयोग उन्होंने अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों के कल्याण के लिए निश्चित कर दिया।
गांधी जी का कहना था, “मेरे लिए ये उपहार आपके प्रेम के प्रतीक हैं। मैं इन उपहारों में अपना प्रेम मिलाकर यहां रहने वाले भारतीयों के कल्याण हेतु, इन्हें आपको सौंप रहा हूं। आपको जब भी मेरी जरूरत होगी, मैं दौड़ा चला आऊंगा। आप भी सरकार के साथ सहयोग करेंगे, यह मेरी इच्छा है।” | 1901 में लंदन होते हुए गांधी जी भारत लौट आए।
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