गांधी जी का क्षमादान : उसी समय पुलिस सुपरिंटेंडेंट एलजेंडर और उनकी पत्नी उधर से आ निकले। उन्होंने गांधी जी । और मिस्टर लाटन को बचाया। वे उन्हें अपनी गाड़ी में बैठाकर पुलिस स्टेशन में ले आए।
पुलिस सुपरिंटेंडेंट एलजेंडर ने मि. लाटन से कहा, ”मि. लाटन ! आज वक्त पर मैं न पहुंचता | तो वे लड़के गांधी को मार ही डालते।” | ” बैंक्यू मि. एलक्जेंडर!” मि. लाटन ने कहा, ‘मैं स्वयं भी मि. गांधी की रंग-भेद विरोधी नीति का समर्थक हूं। आपने हमें बचाकर स्वयं भी इस नीति का समर्थन किया है।”
पुलिस सुपरिंटेंडेंट मुस्कराया और गांधी के सिर से बहते हुए रक्त को देखकर बोला, “मि. गांधी! अगर आप चाहें तो उन लड़कों पर मुकदमा चला सकते हैं।”
“नहीं! मैं किसी पर मुकदमा नहीं चलाऊंगा।” गांधी जी ने दृढ़ता के साथ कहा, “वे दोषी नहीं हैं। उन्हें तो यह कहकर भड़काया गया है कि मैंने भारत जाकर गोरों की बुराई की है, उन्हें बदनाम किया है।”
बैरिस्टर गांधी की इस बात का एलक्जेंडर पर गहरा प्रभाव पड़ा।
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