गांधी जी गोलमेज कॉन्फ्रेंस में : दांडी मार्च का यह नतीजा सामने आया कि ब्रिटिश हुकूमत ने उनसे समझौता करने के लिए उन्हें लंदन बुलवाया। गांधी जी गोलमेज कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के लिए लंदन पहुंचे।
अंग्रेजों को तो मानो मौका मिल गया। भारत में अंग्रेजों का दमन चक्र तेज हो गया। उन्होंने सवर्णो और हरिजनों में, हिंदुओं और मुसलमानों में फूट डालनी शुरू कर दी। गांधी जी बिना किसी नतीजे के वापस भारत आ गए। भारत लौटकर उन्होंने ‘हरिजन’ नामक पत्र निकाला। उन्होंने सीमांत प्रांत का दौरा किया और बादशाह खान को अपना अनुयायी बनाया। । गांधी जी ने अपने कांग्रेसी साथियों से साफ-साफ कह दिया, हिंसा से हम कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे। इससे निर्दोष जनता का खून ही बहता है।”
क्षुब्ध होकर कांग्रेस के कुछ नेता उन्हें ‘संत’ कहने लगे। उन्होंने किसी की परवाह नहीं की और पूरे भारत का एक बार फिर भ्रमण किया। सन् 1939 में दूसरा विश्वयुद्ध छिड़ गया। गांधी जी ने सांप्रदायिकता के विरुद्ध अपना आंदोलन जारी रखा।
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