द्रोणाचार्य द्वारा शिष्यों की परीक्षा : द्रोणाचार्य बड़े प्रेम, लगन और सावधानी से कौरवों तथा पांडवों को अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा प्रदान करने लगे। सभी राजकुमार बड़े योग्य, प्रतिभाशाली और लगनशील थे। राजकुमारों को शिक्षा देते हुए उनका प्रथम सफल सत्र पूर्ण हो चुका था। अब द्रोणाचार्य ने अपने शिष्यों की परीक्षा लेने का निश्चय किया।
एक दिन उचित अवसर देखकर द्रोणाचार्य ने लकड़ी की एक छोटी-सी चिड़िया वृक्ष पर पत्तों के बीच रख दी। आचार्य ने युधिष्ठिर को पास बुलाकर कहा, “वत्स तुम्हें सामने वृक्ष पर दिख रही चिड़िया की आंख को अपने बाण का निशाना बनाना है।”
“ठीक है आचार्य प्रवर!” युधिष्ठिर विनम्रता के साथ बोला, “मैं ऐसा ही करूंगा,” यह कहकर युधिष्ठिर चिड़िया की आंख पर निशाना साधने लगा।
आचार्य ने युधिष्ठिर से पूछा, “वत्स! तुम्हें क्या दिखाई दे रहा है? ** आचार्य!” युधिष्ठिर बोला, “वृक्ष, चिड़िया और आप सभी।”