दिव्य पदार्थों का उदय : भगवान विष्णु द्वारा धीरज बंधाने पर सभी सुर-असुरों का आत्मबल बढ़ गया। वे दूने । उत्साह से मंदराचल को घुमाने लगे। बड़े वेग से मथे जाने के कारण समुद्र का जल क्षुब्ध हो उठा। उस समय समुद्र के गर्भ से अगणित किरणों वाला, शीतल प्रकाश से युक्त, श्वेतवर्ण वाला चंद्रमा प्रकट हुआ। चंद्रमा के उपरांत भगवती लक्ष्मी और सुरा देवी प्रकट हुईं। तभी श्वेत वर्ण का उच्चैःश्रवा घोड़ा निकला। दिव्य किरणों से युक्त कौस्तुभमणि, मनोवांछित फल देने वाला कल्पवृक्ष और कामधेनु गाय भी उसी समय निकली। वे सभी आकाश मार्ग से देवलोक को चले गए। असुरों के हिस्से कुछ भी नहीं आया।
इस पर असुरों ने आपत्ति प्रकट की, लेकिन विष्णु ने यह कह कर उनके क्रोध को शांत कर दिया कि बंटवारा होगा, किसी के साथ अन्याय नहीं होगा।
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