Dhokebaaz Aurat धोकेबाज़ औरत : एक बार राज-दरबार में एक औरत एक व्यक्ति को साथ लेकर आई और बोली “महाराज! यह व्यक्ति चोर है। जब मैं रास्ते से जा रही थी, तो इसने जबरदस्ती मेरे गहने छीन लिए।” व्यक्ति ने अपना बचाव करते हुए कहा “नहीं महाराज! यह औरत झूठ बोल रही है। मैं तो एक यात्री हूँ, जो दिल्ली का भ्रमण करने आया हूँ। यह औरत मुझे रास्ते में मिली और इसने कहा कि यदि मैं इसका साथ दूँगा, तो यह मुझे आपसे मिलवाएगी। मैं आपको देखना चाहता था, इसलिए मैंने इसका कहना मान लिया। यह झूठा आरोप लगा रही है, मैंने कोई गहने नहीं चुराए।” परंतु वह औरत अपनी बात पर अड़ी रही और जोर-जोर से रोते हुए न्याय माँगने लगी।
इस परिस्थिति में बादशाह को फंसा देखकर बीरबल ने एक उपाय सोचा। उसने औरत से पूछा “तुम्हारे गहनों की क्या कीमत थी?” “पाँच हजार स्वर्ण मुद्राएँ, श्रीमान्”, औरत ने कहा। बीरबल ने उस औरत को ध्यानपूर्वक देखा। वह एक गरीब घराने की औरत थी तथा गंदे कपड़े पहने हुए थी। उसके कपड़ों आदि के स्तर से यह स्पष्ट हो रहा था कि वह झूठ बोल रही थी, क्योंकि एक गरीब औरत के पास इतने कीमती गहने नहीं हो सकते। बीरबल ने अपने सेवक को बुलाकर कहा “इसे पाँच हजार स्वर्ण मुद्राएँ दे दो।” औरत के चले जाने के पश्चात् बीरबल ने उस व्यक्ति के कान में कुछ फुसफुसाया। कुछ समय पश्चात् वह व्यक्ति भी चला गया। बीरबल ने सेवक को उन दोनों का पीछा करने को कहा। सेवक ने देखा कि वह औरत मुद्राओं की पोटली को कसकर पकड़े हुए तेजी से चली जा रही है। शीघ्र ही वह व्यक्ति भी उस औरत के पीछे-पीछे आ गया और मुद्राओं की थैली को छीनने लगा। व्यक्ति ने बहुत प्रयास किया, पर वह उस औरत से थैली नहीं छीन सका। परंतु उस व्यक्ति ने औरत को मुद्राओं की थैली ले जाने नहीं दी।
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थककर वह बोली “तुम मेरे साथ दरबार चलो, जहाँ से मुझे यह धन मिला है, मैं तुम्हें एक सबक सिखाऊँगी।” औरत और आदमी एक साथ फिर दरबार की ओर चल पड़े। सेवक भागकर बीरबल के पास गया और सारी घटना सुना दी। शीघ्र ही वह दोनों दरबार में दाखिल हुए। वह औरत बोली, “महाराज, यह व्यक्ति मुझे धन की थैली ले जाने नहीं दे रहा है। रास्ते में इसने मेरा पीछा किया और इस थैली को छीनने लगा।” तभी बीरबल ने औरत को टोकते हुए कहा, “क्या इस व्यक्ति ने तुमसे थैली छीन ली?” “नहीं, श्रीमान् यह तो पूरा प्रयास कर रहा था, परंतु मैंने इसे छीनने नहीं दिया।” यह सुनकर डाँटते हुए क्रोध में बीरबल ने औरत से कहा “तुम झूठ बोल रही हो। यदि यह व्यक्ति तुम्हारे हाथ से थैली नहीं छीन सका, तो तुम्हारे गहने कैसे छीन लिए? तुमने हमारे राज्य में एक पर्यटक को झुठे आरोप में फंसाया है। तुम्हें इसकी सजना मिलेगी। ” यह सुनकर वह औरत समझ गई कि उसका झूठ पकड़ा गया है। वह दया के लिए भीख माँगने लगी। बादशाह ने उसको दंड दिया, परंतु उसे दिल्ली में रहने की अनुमति नहीं मिली। दिल्ली भ्रमण करने आये व्यक्ति ने बीरबल को धन्यवाद दिया और खुशी-खुशी चला गया।
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