डाकू की साधना और वाल्मीकि नाम पड़ना : डाकू रत्नाकर ने सप्तऋषियों के बताए अनुसार माता सरस्वती का आह्वान किया और पद्मासन लगाकर ‘मरा मरा’ का जाप करने लगा, जो लगातार जाप करते रहने से उसके मुख से उलटकर ‘राम राम निकलने लगा। | भूखा-प्यासा वह एक हजार वर्षों तक रामनाम का जाप करता रहा। इस बीच वल्मीकियों (दीमक) ने उसे नश्वर जानकर उसके सारे शरीर को मिट्टी से आवृत्त कर दिया। वह वल्मीकियों से आवृत्त मिट्टी का ढेर मात्र लगने लगा, जैसे दीमकों की बांबी हो। | हजार साल पूर्ण होने पर देवर्षि नारद उधर से निकले तो उन्हें ‘राम राम’ शब्द का उच्चारण सुनाई दिया। उन्होंने मिट्टी के उस ढेर को हटाते हुए कहा, “आप वाल्मीकि नाम से जगत में प्रसिद्ध होंगे, क्योंकि आज आपका जन्म वल्मीक से हुआ है।”
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