चोर और राक्षस | Chor Aur Rakshas

चोर और राक्षस | Chor Aur Rakshas : बहुत समय पहले की बात है। किसी नगर में एक अत्यंत निर्धन ब्राह्मण रहता था। निर्धन होने के कारण न तो उसे ठीक प्रकार से भोजन मिलता था और न ही उसे अच्छे कपड़े पहनने को मिलते थे। वह घोर दरिद्रता में अपना जीवन व्यतीत कर रहा था। प्रतिदिन भीख मांगकर खाना उसकी आदत – सी बन गई थी।

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चोर और राक्षस | Chor Aur Rakshas : एक बार किसी यजमान को उसकी दरिद्रता देखकर उस पर तरस आ गया। उसने उस ब्राह्मण को दो बछड़े दान में दे दिए। अब ब्राह्मण लोगों से चारा मांगमांगकर बछड़ों को पालने-पोसने लगा। ब्राह्मण की सेवा से धीरे-धीरे बछड़े बड़े होकर खूब हृष्ट-पुष्ट हो गए। ब्राह्मण उन दोनों बछड़ों को बेचने की सोच ही रहा था कि एक दिन एक चोर की निगाह बछड़ों पर पड़ गई। वह उन बछड़ों को चुराने का उपाय सोचने लगा। एक रात बछड़ों को चुराने का निश्चय करके चोर रस्सी लेकर घर से निकला। जब वह ब्राह्मण के घर के निकट पहुंचा, तो रास्ते में उसे एक महाभयंकर राक्षस मिल गया।

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चोर और राक्षस | Chor Aur Rakshas : राक्षस का पहाड़ जैसा शरीर, लम्बे – लम्बे गंदे दांत, लाल – लाल आँखे, सूखे सूखे बाल, उभरी हुई बेडौल नाक देखकर चोर की सिट्टी – पिट्टी गुम हो गई। उसने सोचा कि आज तो लगता है, अपने प्राणों से भी हाथ धोना पड़ेगा। मौत को सामने देख उसने सोचा कि मरना तो है ही, तो क्यों न हिम्मत से काम लिया जाए। फिर डरते-डरते उसने पूछा – ‘तुम कौन हो भाई?’ ‘मैं एक राक्षस हूं।’ राक्षस बोला, फिर चोर से पूछा – ‘तुम कौन हो? और रात्रि के इस अंधकार में कहां जा रहे हो?’ चोर बोला – ‘मैं एक चोर हूं और पास वाले ब्राह्मण के यहां उसके बछड़े चुराने जा रहा हूं।’ यह सुनकर राक्षस बोला – ‘तब तो मैं भी तुम्हारे साथ ही चलता हूं। पिछले छह दिनों से मैंने कुछ नहीं खाया, इसलिए मुझे बड़ी जोरों की भूख लगी हुई है। आज उस ब्राह्मण को ही खाकर अपनी भूख मिटाऊंगा।’ यह सुनकर चोर का हौसला बढ़ा और वह राक्षस के साथ चल पड़ा।

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चोर और राक्षस | Chor Aur Rakshas : दोनों ब्राह्मण के घर के पास पहुंचे और छिपकर बैठ गए। अब उन्हें प्रतीक्षा थी अनुकूल मौके की। जब ब्राह्मण सो गया, तो उसको खाने के लिए उतावला हो रहे राक्षस से चोर ने कहा – ‘आपका इतना उतावलापन ठीक नहीं है। जब मैं बछड़ों को चुराकर यहां से निकल जाऊं, तब तुम ब्राह्मण को अपना शिकार बनाना।” इस पर राक्षस बोला – ‘नहीं, पहले मुझे ब्राह्मण को खा लेने दो, तब तुम बछड़ों को चुराना, क्योंकि बछड़ों के रंभाने से यदि ब्राह्मण की नींद खुल गई, तो मेरा यहां आना व्यर्थ हो जाएगा।’ ‘और उस ब्राह्मण को आहार बनाते समय यदि कोई विध्न पड़ गया, तो मैं बछड़ों को कैसे चुरा पाऊंगा?’ चोर बोला – ‘इसलिए पहले मेरा काम हो जाने दो। बाद में तुम आराम से ब्राह्मण का भक्षण करते रहना।” इस प्रकार दोनों में विवाद बढ़ता गया। कुछ देर बाद दोनों ही जोर – जोर से चिल्लाकर आपस में झगड़ने लगे। उनकी चिल्लाहट की आवाजें सुनकर ब्राह्मण की नींद टूट गई और वह उठकर बैठ गया।

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चोर और राक्षस | Chor Aur Rakshas : ब्राह्मण को जागा हुआ देखकर चोर उसके पास पहुंचा और बोला – ‘हे ब्राह्मण! सावधान हो जाओ, यह राक्षस बहुत भूखा है और तुम्हें खाकर अपनी भूख मिटाना चाहता है।’ चोर की बात सुनकर राक्षस भी गुस्से में आ गया। उसने भी ब्राह्मण को सावधान कर दिया कि यह चोर तुम्हारा बछड़ा चुराने आया है।

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तो ब्राह्मण इष्ट देवता के सम्मुख पहुंचकर जोर – जोर से मंत्र-जाप करने लगा। मंत्र के प्रभाव ने राक्षस को निष्क्रिय कर दिया। फिर ब्राह्मण लाठी लेकर जब चोर की ओर लपका, तो चोर अपनी जान बचाने के लिए वहां से इतनी तेज भागा कि कहीं दूर तक उसका पता नहीं चला। इस प्रकार उन दोनों (चोर और राक्षस) के विवाद के कारण ब्राह्मण ने अपने दोनों बछड़े भी बचा लिए और अपने प्राणों की रक्षा भी कर ली। इसीलिए ठीक ही कहा गया है कि कभी – कभी दुश्मनों का आपसी विवाद व्यक्ति के लिए खुशी का कारण बन जाता है।

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