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Childhood Story of a Boy in Hindi | वो बचपन की यादे याद आती हैं कहानी

Childhood Story of a Boy in Hindi | वो बचपन की यादे याद आती हैं कहानी

Childhood Story of a Boy in Hindi | वो बचपन की यादे याद आती हैं कहानी : वह सुबह का समय था जब यथार्थ हाथ में कॉफी लिए साथ-साथ अखबार भी पढ़ रहा था। उसने अखबार में कुछ ऐसा पढ़ लिया था की अपनी आधी अधूरी कॉफ़ी छोड़ के वो जल्दी से अपना एक छोटा सा बैग पैक करके गावं जाने की तैयारी में लगा था।

वह सफेद कपड़ो में तैयार हो गया था और श्री शर्मा जी के मरण के शोक में गया था। वो भी घर में वहीँ कहीं शोक करने वालो के बीच बैठा हुआ चुपचाप उनकी तस्वीर को देख रहा था। इसी में लगभग 3 घंटे कब गुज़र गए पता ही नहीं चला, लेकिन यथार्थ से औरो की तरह वो जगह ना छोड़ी गयी। बहुत से लोगो के लिए ये केवल 5 मिनट की यात्रा थी यानी की हर कोई वहां 5 मिनट से ज्यादा नहीं बिता रहा था पर यथार्थ को अब वहां 4 घंटे होने वाले थे।

शर्मा जी के बेटे अमित यथार्थ के पास गए और उनसे हलकी आवाज़ में पूछा

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Childhood Story of a Boy in Hindi | वो बचपन की यादे याद आती हैं कहानी : “यहाँ आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया लेकिन क्या आप मुझे बता सकते हैं आप मेरे पिताजी या हमारे परिवार को कैसे जानते हैं, क्या हम रिश्तेदार कुछ हैं?”

“यह एक लंबी कहानी है की मैं कौन हूँ पर पहले मुझे ये बताओ की अब तुम्हारे पिताजी की सब्जी की दुकान कैसी है?” यथार्थ ने पूछा

“अब तो उस दूकान को बंद हुवे काफी साल हो चुके हैं, लेकिन तुम्हे कैसे पता मेरे पिताजी पहले दूकान में सब्जियां बेचा करते थे? अमित ने पूछा

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“30 साल पहले, जब मैं एक छोटा बच्चा था। तब उस जमाने में आपके पिता की दुकान हमारे गांव की एकमात्र दुकान थी, इसलिए वो हमेशा खरीदारों के साथ भरी हुई रहती थी। मेरा बस इतना काम रहता था की मैं सभी मोहल्ले की आंटीयो से पैसे लेकर और इस चीज़ के नोट्स बना कर की उन्हें क्या और किस चीज़ की जरुरत हैं और साथ में थैला (जिसमे सब्जियां भरनी होती थी) लेकर चल पड़ता था तुम्हारी दूकान की ओर?

जैसे ही आपके पिता दुकान में ग्राहकों की भरी भीड़ से काम निपटा रहे होते थे तो इतने में मैं कई फलों और सब्जियों को चुरा लेता था और अपने बैग में उन सब्जियों को भरकर अपनी आंटी लोगो को दिया करता था। किसी को भी उस मास्टर प्लान के बारे में नहीं पता था। मैं अपने मौहल्ले का सबसे पसंदीदा लड़का हुआ करता था और मेरी पूरी जेब पैसो से भरी रहती थी तुम्हारे पिताजी की वजह से वो बचपना था लेकिन तुम्हारे भोले पिताजी का उसमे बहुत बड़ा हाथ था… ”

Childhood Story of a Boy in Hindi | वो बचपन की यादे याद आती हैं कहानी : इस बीच एक आवाज यथार्थ के पीछे से आई,

“धन्या हो भैया… धन्या हो… (आप यहाँ आये हमे बहुत ख़ुशी हुई !!)” – यह एक बूढी महिला थी जो ये सब सुन रही थी और वो असल में श्रीमती शर्मा जी थीं.

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अमित ने यथार्थ का शुक्रिया अदा किया और कहा, “भाई, पिताजी हमेशा जानते थे कि वो आप ही थे जो फल सजियाँ चुराया करता था, लेकिन वो आपको इतना पसंद करते थे की उन्होंने कभी आपसे कुछ कहा नहीं क्यूंकि आप बहुत छोटू मोटू गोलू से हुआ करते थे। यहाँ तक की उन्होंने कई बार मुझे आपके बारे में बताया भी हैं। आज आपने मुझे मेरे पिता से ज्यादा प्यार करने का एक और कारण दिया।”

“पिताजी हमेशा कहा करते थे, आदर ही वो सबसे बड़ी चीज़ हैं जिसे आप बहुत मेहनत से कमाते हैं। आप दोनों ने ही आज मेरी नज़र में बहुत आदर कमाया हैं। यहाँ आने के लिए सच में बहुत बहुत शुक्रिया.

Childhood Story of a Boy in Hindi | वो बचपन की यादे याद आती हैं कहानी : यथार्थ के पास अब कहने के लिए कुछ नहीं था क्यूंकि वो हमेशा से जो सोचता आया था असल में सच्चाई कुछ और ही थी लेकिन फिर भी वो एक मीठी याद थी।

जीवन भर के लिए यह एक सीख:

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कभी भी मदद करना और करने वाले को भूलना नहीं चाहिए।
सम्मान दुनिया में सबसे बड़ी चीज है जिसे आप कमा सकते हैं।
सिक्के के हमेशा दो पहलु होते हैं।

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Hind Patrika

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