पुस्तक और नाटक का प्रभाव : बचपन में मोहनदास को पढ़ने-लिखने में कोई विशेष रुचि नहीं थी। परंतु एक बार उन्हें कहीं से ‘श्रवण पितृ-भक्ति’
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मोहनदास गांधी का विवाह : मोहनदास गांधी अभी मैट्रिक में आए भी नहीं थे कि बारह-तेरह वर्ष की उम्र में ही उनका विवाह कस्तूरबा से
मोहनदास गांधी की पिटाई : मोहनदास गांधी खेल-कूद में बिलकुल भाग नहीं लेते थे। उनका कहना था कि शिक्षा का खेलसे कोई संबंध नहीं है।
पिता का देहावसान : उन दिनों मैट्रिक की परीक्षा का निकटतम केंद्र अहमदाबाद था। गांधी जी राजकोट से मैट्रिक की परीक्षा देने अहमदाबाद गए थे।
बचपन की बुरी संगत : गांधी जी के बड़े भाई का एक दोस्त बुरी संगत में उठता-बैठता था। वह बीड़ी-सिगरेट और मांसमदिरा का सेवन भी
अपराध की स्वीकारोक्ति : धीरे-धीरे मोहनदास को सिगरेट पीने और मांस खाने का चस्का लग गया। घर में वे झूठ बोलने लगे और कभी-कभी पत्नी
गांधी जी विलायत की ओर : गांधी जी विलायत जाकर डॉक्टर बनना चाहते थे। परंतु जब गांधी जी के पिता के मित्र श्री भाव जी
इंग्लैंड के नए माहौल में : चौबीस दिन की यात्रा के बाद 28 सितंबर, 1888 को गांधी जी इंग्लैंड की धरती पर उतरे। सबसे पहले
अंग्रेजीयत सीखने की धुन : इंग्लैंड में लोग उन्हें जंगली या असभ्य न समझें, इसके लिए उनके मन में अंग्रेजी सभ्यता और शिष्टाचार सीखने की
स्वदेश वापसी : 11 जून, 1891 को बार-एट-लॉ की डिग्री लेकर गांधी जी स्वदेश लौट आए। इन तीन वर्षों के प्रवास में गांधी जी ने
बैरिस्टर मोहनदास गांधी : बैरिस्टर बनने के कुछ दिन बाद तक गांधी जी राजकोट में ही रहे। फिर वे अपने एक मित्र की सलाह पर
कोर्ट में अपमान : दो-तीन दिन बाद सेठ अब्दुल्ला गांधी जी को डरबन की अदालत दिखाने ले गए। जब वे उन्हें कोर्ट में अपने वकील
दक्षिण अफ्रीका में : मोहनदास फ्रॉक कोट और काठियावाड़ी पगड़ी पहने हुए डरबन बंदरगाह पर उतरे। सेठ अब्दुल्ला उन्हें लेने आए हुए थे। उनको वहां
ट्रेन से नीचे धकेलना : एक सप्ताह बाद बैरिस्टर गांधी डरबन से प्रिटोरिया के लिए रवाना हुए, जहां सेठ अब्दुल्ला का । मुकदमा चल रहा
बैरिस्टर गांधी का विरोध : उस रात बैरिस्टर गांधी प्लेटफार्म पर ही ठंड में ठिठुरते हुए बैठे रहे। किया गया अपमान उनके | हृदय को