Akbar Birbal Story in Hindi : एक दिन बीरबल ने जब बादशाह अकबर के दरबार में प्रवेश किया, तो उसने देखा कि सभी दरबारी हँस रहे हैं। उसने बादशाह से पूछा, “महाराज! आज सब इतने प्रसन्नचित्त क्यों हैं?” “अरे, कोई खास बात नहीं, बीरबल !” अकबर ने जवाब दिया। “हम लोगों की त्वचा के रंगों के विषय में चर्चा कर रहे थे। सभी गोरे हैं।
फिर तुम हमसे काले कैसे?” हमेशा की तरह बीरबल का जवाब तैयार था। “ओह! शायद आप मेरी त्वचा के रंग के राज़ के विषय में नहीं जानते?” “राज; कैसा राज ?” अकबर ने पूछा। “बहुत समय पहले भगवान ने इस संसार को पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों आदि से भरपूर बनाया था। पर वह इस रचना से संतुष्ट नहीं थे, इसलिए उन्होंने मनुष्य की रचना की। अपनी इस नई रचना को देखकर वह अत्यंत प्रसन्न हुए। इसलिए उन्होंने सभी को तोहफे के तौर पर रूप, बुद्धि तथा धन देने का निर्णय लिया। उन्होंने घोषणा की कि प्रत्येक व्यक्ति को पाँच मिनट का समय दीया जाएगा ताकि सभी अपनी इच्छानुसार कोई भी तोहफा चुन सकें। मैंने सारा समय बुद्धि एकत्र करने में लगा दिया, जिससे दूसरी वस्तु चुनने का समय ही नहीं बचा। आप सभी रूप और धन इकट्ठा करने में लगे रहे और बाकी तो सब जानते ही हैं।” बीरबल ने जवाब दिया।
यह सुनकर सभी दरबारी सन्न रह गए। किसी के पास भी इसका प्रत्युतर न था। बादशाह अकबर बीरबल की इस हाज़िर-जवाबी पर खिल-खिलाकर हँस पड़े।
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