Birbal ek Jasus | बीरबल एक जासूस
Akbar Birbal Story in Hindi : शाही बगीचे का माली कालू एक परिश्रमी व्यक्ति था। वह बहुत कजूस था और सदैव सादे वस्त्रों में रहता था। एक दिन उसके एक मित्र ने पूछा “क्या बात है, मित्र? तुम अच्छा-खासा वेतन पाते हो। साथ ही महारानी और बादशाह सलामत की भी तुम पर विशेष कृपा रहती है। समय-समय पर तुम्हें अच्छी-खासी आमदनी उनके पुरस्कारों से भी हो जाती है, तो भी तुम इतनी हीन अवस्था में क्यों रहते हो? तुम अपना धन खर्च क्यों नहीं करते?” माली ने जवाब में कहा “मैं अपना धन अपने बुढ़ापे के लिए बचाता रहता हूँ। जब मेरे अंदर काम करने की शक्ति नहीं रह जाएगी और मेरे शरीर में विभिन्न प्रकार के रोग उभरने लगेंगे, तब बचाया हुआ यही धन मेरा सहारा बनेगा। उस समय मुझे किसी का मोहताज नहीं होना पडेगा।” यह सोचकर वह अपना धन एक गुप्त स्थान में रखता रहता था। एक दिन सुबह जब कालू उस गुप्त स्थान पर अपने धन को देखने पहुँचा, तो उसने वहाँ कुछ नहीं पाया। वह भौंचक्का रह गया और रोते हुए बीरबल के पास पहुँचा और बोला “श्रीमान्, मैं बर्बाद हो गया। किसी ने मेरी जीवन भर की पूँजी चुरा ली। मैंने बहुत मेहनत से सोने के हजारों सिक्के बचाए थे, परंतु सब चले गए।” “तुमने उन्हें कहाँ रखा था, कालू?” “श्रीमान्, मैंने शाही बगीचे में एक नाशपाती के पेड़ के नीचे गड्ढा खोदकर उसमें अपना धन छिपा रखा था।” कालू ने बताया। “पर वहाँ क्यों छिपा रखा था? क्या तुम अपने घर में किसी सुरक्षित स्थान पर नहीं रख सकते थे?” बीरबल ने पूछा।’श्रीमान्, सारा दिन मैं शाही बगीचे में काम करता रहता हूँ। इसलिए यह स्थान मुझे सबसे अधिक सुरक्षित लगा था।”
माली ने जवाब दिया। “ओह, अच्छा! पर क्या कोई अन्य व्यक्ति इस स्थान के विषय में जानता থা?” “नहीं श्रीमान्! केवल मैं ही इस स्थान के विषय में जानता था।” “ठीक है, मुझे इस समस्या को सुलझाने के लिये कुछ समय दो।” तब बीरबल ने सोचा, “कालू के धन के विषय में केवल वही जान सकता है, जिले केनचेखुईक ही में ताकि अ व्याकता ” बीरबल ने सभी वैद्यों तथा हकीमों को अपने भवन में बुलाया। उसने सभी से एक प्रश्न किया
‘क्या नाशपाती के पेड का कोई भाग दवाई को रूप में प्रयोग किया जा सकता है?” वहाँ उपस्थित अधिकांश व्यक्तियों ने इन्कार कर दिया, परंतु उनमें से एक बोला ‘नाशपाती का फल स्वास्थ्य को लिए अच्छा होता है, परंतु इसके फूल एवं पतियों का औषधि के रूप में हमारे लिए कोई उपयोग नहीं।” तभी एक अनुभवी वृद्ध वैद्य खड़े हुए और बोले, “श्रीमान्, हाल ही में मैंने जड़ी-बूटियों को नाशपाती की जड़ों के साथ मिलाकर एक औषधि बनाई थी। वह मैंने पीलिया से पीड़ित मरीज सेठ हजारीमल को दी थी।” “ओह! हजारीमल को बुलाया जाए।” सेठ के आने पर बीरबल ने पूछा “सेठ जी, क्या आपने पीलिया से बचने के लिए जड़ी-बूटियों तथा नाशपाती के पेड़ की जड़ों के मिश्रण का सेवन किया था?” “जी श्रीमान्, और इसी कारण मैं आपके सामने स्वस्थ खड़ा हूँ।” “नाशपाती के पेड़ की जड़ें तुम्हारे लिए कौन लाया था?” बीरबल ने सेठ से पूछा। “मेरा नौकर, श्रीमान्।” सेठ ने जवाब दिया। “ठीक है! आप अपने नौकर को तुरंत बुलवाइए।” बीरबल ने सेठ जी से सेठ हजारीमल के नौकर को बुलवाया गया। उसके आने पर बीरबल ने पूछा “क्या तुमने नाशपाती के पेड़ के नीचे खुदाई की थी?” “जी श्रीमान्!”नौकर ने स्वीकार करते हुए कहा। “वह पेड़ कहाँ था?” बीरबल ने पूछा। “शाही बगीचे में, श्रीमान्!”नौकर ने बताया। “क्या तुमने सोने के सिक्कों की थैली वहाँ से नहीं उठाई? वह मुझे तुरंत वापस करो।” बीरबल ने कहा “पर-र-र, श्रीमान् ” नौकर हड़बड़ाकर बोला । “वह थैली मुझे तुरंत वापस करो ताकि हम तुम्हें माफ कर सकें, नहीं तो “।” “मुझे माफ कीजिए श्रीमान्, मैं आपके लिए वह थैली अभी लाता हूँ।”
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नौकर वहाँ से चला गया और शीघ्र ही सोने के सिक्कों की थैली के साथ वापस आया। “मैं तुम्हें माफ करता हूँ, परंतु तुम्हें वायदा करना पड़ेगा कि भविष्य में तुम कभी चोरी नहीं करोगे। तुमने अपनी गलती मान ली है, इसलिए मेरी तरफ से पुरस्कार स्वरूप पाँच सिक्के इसमें से तुम अपने लिए निकाल लो।” बीरबल ने कहा। बाद में बीरबल ने कालू को बुलाया और उसकी थैली उसे देते हुए कहा, “यह रही तुम्हारी बचत। इसमें से पाँच सोने के सिक्के तुम्हारी लापरवाही की सजा के रूप में मैंने ले लिए हैं। भविष्य में इस प्रकार असुरक्षित स्थान पर धन छिपा कर दोबारा मूर्ख मत बनना। “कालू को शिक्षा मिल गई थी। उसने अपना सिर झुकाकर बीरबल को धन्यवाद किया और उसके भवन से चला गया।
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