Baal hath | Akbar Birbal Stories in Hindi

Baal hath | Akbar Birbal Stories in Hindi : एक दिन बीरबल दरबार देर से पहुँचे। दरबार में देर से आने का कारण जानने के लिए बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा “बीरबल, आज तुम देर से क्यों आए हो?” ‘महाराज, मैं ” मेरा पुत्र …. बीरबल ने हकलाते हुए कहा। “हाँ, कहो क्या बात है?” बादशाह ने जोर देते हुए कहा। “महाराज, मेरे चार साल के बेटे का खिलौना टूट गया था। जब तक मैंने उसका खिलौना जोड़ नहीं दिया तब तक उसने मुझे आने ही नहीं दिया।” बीरबल ने कहा। यह सुनकर बादशाह सहित सभी दरबारी ठहाका मारकर जोर-जोर से हँस पड़े। वे तरह-तरह से मजाक करने लगे। कुछ ने तो यहाँ तक बच्चे के कारण देर हो गई।” कुछ ने कहा “महान् बीरबल एक बच्चे को नहीं मना पाये कि वह उन्हें घर से बाहर जाने दे।”

बादशाह अकबर ने कहा, “बीरबल, तुम तो मेरे दरबार के सबसे कीमती रत्न हो। मेरी समस्याओं को हल करने में तुम मेरी सहायता करते हो। फिर एक बच्चे को तुम क्यों नहीं मना पाए?” बीरबल बोला ‘महाराज, छोटे बच्चों को समझाना बच्चों का खेल नहीं है। एक छोटा बच्चा एक बड़े व्यक्ति को भी मूर्ख बना सकता है। बाल-हठ बहुत विचित्र चीज है। इसके सामने हम जैसे व्यक्ति भी कुछ नहीं कर सकते।” “मैं इस पर विश्वास नहीं करता। अपने पुत्र को कल दरबार में लाना। मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि तुम्हें उसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए।” बादशाह ने कहा। अगले दिन बीरबल अपने छोटे पुत्र के साथ दरबार में उपस्थित हुआ। बच्चे का उपयुक्त स्वागत-सत्कार करने के बाद बादशाह ने बच्चे से पूछा “बेटा, तुम क्या चाहते हो? मैं तुम्हें वह सब कुछ दे सकता हूँ जो तुम्हें चाहिएँ।” “मैं एक गन्ना खाना चाहता हूँ,” बच्चे ने निवेदन किया। “बच्चे के लिए कुछ गन्ने ले आओ।” बादशाह ने सेवक को आदेश दिया।

शीघ्र ही सेवक ने एक प्लेट में छिले व कटे हुए गन्ने के टुकड़े रखकर बच्चे के सामने प्रस्तुत किया। बच्चे ने उन्हें देखा और कहा, “मुझे यह ऐसे नहीं चाहिए। मैं तो पूरा गन्ना चाहता ” “ठीक है, दूसरा गन्ना लाओ परंतु इस बार उसे काटना नहीं”। बादशाह ने कहा। आदेश का पालन हुआ। “नहीं, नहीं ऐसे नहीं !”बच्चे ने रोना शुरू कर दिया। “अब क्या हुआ, बेटे?” बादशाह ने पूछा। “मुझे इसी गन्ने को जोड़कर दी। मुझे दूसरा गन्ना नहीं चाहिए”बच्चे ने कहा। ‘नहीं बेटे, यह संभव नहीं है। मैं तुम्हें एक मीठा और बड़ा गन्ना दूँगा।” बादशाह ने कहा। “नहीं नहीं मुझे यही गन्ना जुड़ा हुआ चाहिए।” बच्चा अपनी हठ पर अड़ गया और जोर-जोर से रोने लगा।

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बादशाह के द्वारा कहे गए शब्द उसे सुनाई ही नहीं दे रहे थे। बादशाह सहित सभी दरबारी बच्चे की मनाते रहे परंतु सब व्यर्थ रहा। अंत में बादशाह ने अपनी है, बीरबल ! एक बार फिर तुम जीत गए। अब मैं समझा कि तुम्हारे जैसा व्यक्ति भी एक बच्चे को संतुष्ट क्यों नहीं कर पाया। सचमुच बच्चों की हठ पूरी करना बहुत कठिन है।”

और कहानियों के लिए देखें : Akbar Birbal Stories in Hindi

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