Poem on Child Labour in Hindi | आत्मा को झंझोड़ देने वाली बाल श्रम की कविताए

Poem on Child Labour in Hindi

Poem on Child Labour in Hindi : बाल श्रम हमारे समाज का एक ऐसा आइना हैं जो हमारे इस समाज में रह रहे लोगो का यानी की आप का और हमारा असली चेहरा हमी लोगो के सामने लेकर आता हैं. कितनी बेबसी भरी ज़िन्दगी जी रहे हैं हम लोग की सब कुछ होते हुवे भी कुछ नहीं कर सकते. यहाँ तक की ढाबो, छोटी मोटी दुकानों और रेलवे स्टेशनो और सार्वजनिक स्थानो में आज भी इतने सख्त कानून होते हुवे भी हमे बाल श्रमिक यानी की चाइल्ड लेबर (Child Labour) काम करते हुवे आम तरह से दिख ही जाते हैं. कभी कभी घरो के बाहर कबाड़ का सामान इक्कठा करते हुवे भी उन नन्हे नन्हे हाथो में कचरे के बोरी लिए हुवे देखा जाना एक आम बात हैं. जाने किस दिन के इंतज़ार में डूबे हैं हम लोग या फिर किस पल का इंतज़ार कर रहे हैं जिस पल हमें पूरी शर्म आए और हम वाकई में इसके खिलाफ कुछ कदम उठाए.

Poem on Child Labour in Hindi

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उन नन्हे नन्हे हाथो पर बारूद के दाग (बाल श्रम)

बीत गई दीवाली ….
बीत गए ज़जबात,
पर जान न सका कोई …
इन “पटाखों” के सच की बात ।

लाखों पटाखे सुबह रोड पर जले पड़े थे ,
लोगों की “अमीरी” की शान के किस्से भरे पड़े थे ।
किसी ने कहा कि- बीती रात “दो लाख” में आग लगायी ,
और किसी ने कहा कि -ऐसी मद भरी दिवाली पहले कभी न बनायी ।

Poem on Child Labour in Hindi

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पर किसी ने ये न सोचा …..
कि कौन था इन पटाखों को बनाने के पीछे ?
कितनी रात जाग कर मेहनत की होगी उसने ……
ताकि वो अपने भूखे पेट को सींचे ।

हाँ ज़रा सोच कर देखो …..तो एक बार ,
दिल न दहल जाए तुम्हारा तो कहना– कि है मेरी “हार”।
वो नन्हे-नन्हे हाथ कैसे बारूद भरा करते होंगे ?
अपने “मालिक” के कितने ताने …..दिन-रात सुना करते होंगे |

Poem on Child Labour in Hindi

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कोई क्या जाने कि उनकी आँखों में भी “सपने” होंगे ……
जिनको पाने की खातिर, वो तन-मन से “मेहनत” करते होंगे ।
टाखों की फैक्ट्री जाकर देखा तो, मैंने ये पाया ….
वो “Child Labour ” जो ban है ….वो फिर से अपने ज़ोरों पर था गरमाया ।

मालिक कहता कि –दिवाली में दिन हैं बचे केवल चार ,
और माल न बना तो सबको पड़ेगी मार ।
बेचारे नन्हे -नन्हे बच्चे सहमे से मेहनत करते ….
दिन-रात एक लगाकर अपनी नींदों को हराम करते ।

Poem on Child Labour in Hindi

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फिर क्यों नहीं हम भी कुछ …..उनके लिए करते?
ज्यादा न सही पर थोड़े से ….उनके सपनो में भी रंग भरते ।
पटाखे न खरीद उनको वहां की कैद से मुक्त कराते ……
और इस तरह पटाखा फैक्ट्री वाले को भी “चाइल्ड लेबर” रखने का सबक सिखाते ।

E -Diwali ,Green -Diwali ,Pollution -free Diwali,
ये सब तो “Newspaper” में सिर्फ नसीहतें होती हैं,
बस “पटाखों के सच” को स्वीकार करने की हिम्मत जिसमे होती है ….
उसकी दिवाली सोचो तो कितनी रंगीन हो सकती है ।

Poem on Child Labour in Hindi

त्योहारों का महत्व ” पैसों “को आग लगाना नहीं होता ….
अपनी खुशियों के लिए किसी के दर्द से मुँह मोड़ना नहीं होता ,
गर हो सके तो सोचना अगली दिवाली पर दिल से एक बार …
कि क्या इन “पटाखों के सच” को जानकर भी , हम ऐसे ही दिवाली मनायेंगे हर बार ?

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Poem on Child Labour in Hindi

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उन रोती, बिलखती ज़िन्दगी का खोता बचपन (बाल श्रम)

रोती, बिलखती ज़िन्दगी, क्यूँ सड़कों पर खोता बचपन, धुएं और शोर के बीच, अश्कों में खोता बचपन,
भूखे पेट, तरसती आँखे, फिर भी मुस्कुराती ज़िन्दगी, चमकती आँखे, कभी किताबों तो कभी फूलों को बेचने की जुगत में खोता बचपन,
तो कभी लाचारी और अपंगता में खोता बचपन, क्यूँ रोती, बिलखती ज़िन्दगी, क्यूँ सड़कों पर खोता बचपन, धुएं और शोर के बीच, क्यूँ अश्कों में खोता बचपन…
भूखे पेट, तरसती आँखे, दो रुपये, तरसती सांसें, क्यूँ धुओं में खोता बचपन, चोरी, नशा और ज़ुल्म में पड़, सड़कों पर रोता बचपन,
ये रोती, बिलखती ज़िन्दगी, ये सड़कों पर खोता बचपन, धुएं और शोर के बीच, अश्कों में खोता बचपन…
बाबूजी, एक रूपया दे दो, कहके आया पास मेरे, चेहरे पर मोती, पेट में भूख, ले आया वो पास मेरे, मैंने पुछा,
क्या होगा जो एक रूपया मैं दे दूंगा, बोला वो, एक रूपया जोड़, माँ का पेट मैं भर लूँगा, गुज़र गया आँखों के आगे,
क्यूँ उसका सारा बचपन, हाँथ जोड़ क्यूँ खड़ा रहा, आँखों के आगे सारा बचपन, ये रोती, बिलखती ज़िन्दगी,
ये सड़कों पर खोता बचपन, धुएं और शोर के बीच, अश्कों में खोता बचपन.

Poem on Child Labour in Hindi

Child labour poem in english :-

Why are lost (Child labour poem) (बाल श्रम)

Why are lost,
the light of their childhood.
Why are you making,
them child labour.
Kohinoor future of the country,
Why are you doing,
them to child labour.

Poem on Child Labour in Hindi

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The society,
the fault of the government.
Do Together,
the child labor.
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Poem against Child Labour in India.

What deep in shadow

What deep in shadow,
India is flourishing.
where are emphasizing power,
How deep is the darkness.
The book should be the hands,
How’s that old brick Garon Sun.
How innocent childhood,
Earn nickel.

Poem on Child Labour in Hindi

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Which put the burden on the shoulders,
A life is passing you.
Blossom was in the lap of her,
That is how the mud wrap.
In the eyes of the innocent,
Did not forget any dream,
Nanhon who lives,
Like a letter,
not knowledge.
Whose gentle childhood Just waving helplessly as He called child labour.

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Poem on Child Labour in Hindi

Today saw a child labour in the hotel wash plates

Today saw a child labour in the hotel wash plates,
At the same time I saw the inside of his childhood.
Rose sparkling new vessels,
I would get the food you want.
Never thought, How brightly these dishes daily.

Poem on Child Labour in Hindi
Labour was just for me,
School to take my school bag.
And with friends, Play – to play tired.
Then it came, not paper note,
The coins were simply Cncnate piggy bank. Sweet is the fruit of hard work,
My mother had taught me.

Poem on Child Labour in Hindi
Meant to work on the bus,
Reading had then.
Child labour why childhood is not like childhood,
Alas, this is not a child in this world.

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Poem on Child Labour in Hindi

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