World Health Day (Truth and Data) : 112 करोड़ लोग इस देश में रहते हैं और 112 करोड़ लोगो में स्वस्थ्य लोगो की संख्या गिनती के 25 से 30 करोड़ हैं बस. 25 से 30 करोड़ लोग ऐसे हैं इस देश में जिनको स्वस्थ्य कहा जा सकता हैं. बाकी जितने भी लोग हैं सभी को कुछ न कुछ तकलीफे हैं की 5 करोड़ लोग इस देश में हैं जिनको diabetes हैं और विशेषज्ञ ये कहते हैं UNESCO की report में की अगर यही गति और रफ़्तार से diabetes बढती गयी तो कुछ सालो में लगभग 10 से 12 करोड़ लोगो को ये होगी फिर इसी रिपोर्ट में उन्होंने कहा हैं की 12 से 13 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें lungs infection की भिन्न भिन्न बीमरियां हैं जैसे दमा हैं, अस्थमा हैं, सांस फूलती हैं, tuberculosis हैं. ऐसे बारह तेरह करोड़ लोग हैं
World Health Day (Truth and Data) : फिर उसी report में यह बात भी सामने आई हैं की भारत में 15 से 16 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनको घुटनों का दर्द हैं, कमर का दर्द हैं, कंधे का दर्द हैं, झाद्दियो का दर्द हैं जिसको आप संधिवाद कहते हैं आम भाषा में.
World Health Day (Truth and Data) : ये जोड़ो के दर्द की बीमारियाँ हैं और 9 से 10 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनको पेट की कुछ न कुछ तकलीफ रहती हैं जिनको पित्त की बीमारियों के द्वारा हम अक्सर परिभाषित करते हैं जैसे gas बनना, acidity होना, अल्सर होना. hyper acidity होना वगेरा वगेरा.
और UNESO की एक report में लिखा हुआ था जो की वाकई में बहुत परेशान करने वाली बात हैं की 20 से 22 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें आँखों की कुछ न कुछ परेशानी हैं ही जैसे या तो कम दीखता है, या बिलकुल नहीं दीखता, या रात में नहीं दीखता, दिन में दीखता भी हैं तो रंग का अंतर नहीं पता चल पाता. हम लोग अंग्रेजी में उनको nightblindness या colour blindness कहते हैं
World Health Day (Truth and Data) : इस report पर भारत सरकार कहती हैं की विभिन्न बीमारियों का इलाज़ करने के लिए इस देश में जो डॉक्टरो की संख्या हैं जो registered हैं वो 23 लाख हैं. MBBS, MDMS, BAMS माने आयुर्वेद के और प्लस BHMS होम्योपेथी के. तीनो विधाओ के अब 23 लाख डॉक्टर और लगभग 70 से 75 करोड़ मरीज़ या बल्कि 80 करोड़ मरीज़ अभी हाल ही में हैं . भारत की सरकार और राज्य की सरकारों ने अब तक जितने डॉक्टरस बनाए हैं इनको बनाने में करीब 10 लाख करोड़ से ज्यादा का खर्च हो चूका हैं
World Health Day (Truth and Data) : इन रिपोर्टो द्वारा यदि अभी भी हमारी आँख नहीं खुलती हैं तो ना जाने किस चमत्कार का हमे और इंतज़ार करना पड़ेगा की जल्द ही इस देश का बच्चा बच्चा स्वस्थ हो सके. इस कारण चमत्कार के भरोसे बैठने से अच्छा हैं की अगर हम अभी से खुद को अपने पूर्वजो द्वारा दी गयी योग की संस्कृति का निर्वाह करे. ताकि हम स्वस्थ हो सके. यदि एक एक व्यक्ति इस सन्देश से प्रभावित होकर योग कर के एवं सही भोजन ग्रहण करके खुद को स्वस्थ बनाता हैं तो हमारी सरकार का बहुत सा पैसा बच जाएगा जो की हमारे ही विकास मे भविष्य में लगेगा. हमे इस बात को जल्द से जल्द समझना होगा अन्यथा बहुत देर हो जाएगी.
इस सन्देश को जितना हो सके दुसरो तक पहुंचाइए
धन्यवाद! 🙂
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