Small Children Stories in Hindi

Small Children Stories in Hindi : एक गरीब व्यापारी छोटे कस्बे में रहता था। उसने सोचा वह दूर देशों में जाकर अपनी किस्मत आजमाए। शायद वह वहां अधिक धन कमा सके। यह सोचकर उसने अपनी थोड़ी बची हुई चीजें इकट्ठी करके बांध लीं। उसके पास एक लोहे की बड़ी तराजू भी थी। यह तराजू बहुत भारी और खालिस लोहे की बनी हुई थी। वह उस तराजू को गिरवी रखने वाले के पास ले गया। गिरवी रखने वाले ने उसे कुछ धन देकर वह तराजू ले ली। व्यापारी ने उससे कहा-‘कृपया मेरी तराजू को संभाल कर रखना। यह हमारे खानदान की निशानी है। मैं इसे सिर्फ कुछ धन पाने की इच्छा से गिरवी रख रहा हूं। ज्यों ही मेरे पास धन इकट्ठा हो जाएगा, मैं वापस आऊंगा और तुम्हारे पैसे वापस करके तराजू ले लूगा।’ गिरवी रखने वाले ने कहा-‘ठीक है, मैं इसे संभाल कर रखंगा।’

Small Children Stories in Hindi : व्यापारी अपने रास्ते चला गया। ज्यों-ज्यों समय गुजरता गया, वह दूर देशों में घूमा और बहुत परिश्रम किया। उसने कई प्रकार के व्यापार किए। उसकी किस्मत चमकी और उसने खूब धन कमा लिया। वह एक अमीर आदमी बन गया और एक सुंदर शहर में अपने लिए एक बढ़िया मकान खरीद लिया। अब उसे अपने पुराने घर जाने का ख्याल आया। उसे अपनी तराजू भी वापस लेनी थी।
वह सीधे गिरवी रखने वाले की दुकान पर पहुंचा। गिरवी रखने वाला उस गरीब व्यापारी को शानदार कपड़ों में देखकर हैरान हुआ और उसकी आंखें खुली की खुली रह गई। व्यापारी ने उससे मुस्करा कर पूछा-‘क्या तुम मुझे पहचानते हो? मैं तुम्हारे पास अपनी खानदानी अनमोल तराजू छोड़ गया था और तुमने मेहरबानी करके उसके लिए कुछ रुपए भी दिए थे। अब मैं तुम्हारा सारा धन वापस करके अपनी तराजू वापस लेने आया हूं।

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Small Children Stories in Hindi : गिरवी रखने वाला दुखभरी आवाज में बोला-‘मैंने तुम्हारी तराजू अपने स्टोर रूम में संभाल कर रख दी थी, पर चूहों ने उस पर हमला बोल दिया और सारी की सारी खा गए।’ व्यापारी उसकी झूठी बातों को सुनकर उदास हो गया, पर उसने अपना गुस्सा नहीं दिखाया। वह बोला-‘तुम्हारे यहां बहुत ही ताकतवर चूहे होंगे, जो लोहे की तराजू खा गए। खैर कोई बात नहीं, अब मैं वापस जा रहा हूं। पर मैं जाने से पहले नदी में नहाना चाहता हूं। आप अपने लड़के को मेरे साथ तौलिया और साबुन देकर भेज सकते हैं क्या?’ ‘हां हां, क्यों नहीं।’

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Small Children Stories in Hindi : गिरवी वाले का लड़का और व्यापारी साथ-साथ नदी की ओर चल पड़े। वहां जाकर व्यापारी ने पास वाली गुफा में लड़के को धकेल दिया और गुफा का दरवाजा बड़े पत्थर से ढक दिया। व्यापारी नदी में नहाकर तरोताजा हो गया और शीघ्रता से गिरवी रखने वाले के पास पहुंचा और कहा-‘अब मैं नदी में नहाकर बिल्कुल तरोताजा हो गया। अब मैं अपने घर वापस जा रहा हूं। मैं तुम्हें विदा कहने आया हूं।’ ‘लेकिन मेरा लड़का कहां है?’-गिरवी वाला बोला। ‘हाय! जब मैं नदी में नहा रहा था, तब एक बाज नीचे आया और उसे उठाकर ले गया’-व्यापारी बोला। गिरवी रखने वाला चिल्लाया-‘एक बाज इतने बड़े लड़के को कैसे उठाकर ले जा सकता है, तुम सरासर झूठ बोल रहे हो।’ ‘यदि चूहे लोहे की तराजू खा सकते हैं.

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Small Children Stories in Hindi : तो बाज भी अपनी चोंच में लड़के को पकड़ कर ले जा सकता है’-व्यापारी ने उत्तर दिया और फिर कहा-‘यदि तुम मेरी तराजू मुझे वापस कर दोगे, तो मैं तुम्हारा लड़का भी तुम्हें वापस कर दूंगा।’ गिरवी वाला गुस्से से बोला-‘पर, चूहे सच में ही तुम्हारी तराजू खा गए हैं।’ ‘इसी तरह बाज भी तुम्हारे लड़के को उठाकर मेरी आँखों के सामने ले गया’-व्यापारी आराम से बोला। गिरवी रखने वाला बोला-‘मैं तुम्हें कचहरी तक ले जाऊंगा, जब जज तुम्हारा झूठ सुनेगा, तब तुम्हें बहुत बड़ी सजा मिलेगी।” उसने व्यापारी को धमकाया, परंतु व्यापारी जरा भी न डरा, उसने कहा-“चलो चलें।’

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Small Children Stories in Hindi : जब जज ने गिरवी रखने वाले की बात सुनी, तब वह व्यापारी से गुस्से से बोला-‘क्या कभी बाज भी लड़के को उठाकर ले जा सकता है। यह सरासर झूठ है।” व्यापारी ने उत्तर दिया-‘यह उसी तरह झूठ है जैसे कि चूहों का लोहे की तराजू को खाना। ‘जज ने पूछा कि इसका क्या अर्थ है? तब व्यापारी ने उसे सारी कथा सुनाई-‘बहुत साल पहले मैं इसके पास अपनी कीमती तराजू रखकर कुछ धन ले गया था। वह तराजू हमारे परिवार में वर्षों से थी। अब मैंने काफी धन कमा लिया है, तो मैं अपनी तराजू वापस लेने आया हूं। अब यह कह रहा है कि तराजू को चूहे खा गए।’

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Small Children Stories in Hindi : जज यह सुनकर हंसा और गिरवी वाले से बोला-‘तुम इसकी तराजू वापस कर दो, तुम्हें अपना लड़का भी मिल जाएगा।’
बाद में जब व्यापारी तराजू के साथ अपने घर वापस जा रहा था, तो वह मुस्कराया और सोचने लगा-गिरवी वाले की समझ में आ गया होगा कि एक झूठ बोलने पर कभी-कभी व्यक्ति स्वयं ऐसी अवस्था में फंस जाता है कि काश वह सच ही बोला होता।

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Hind Patrika

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